जय श्री महाकाल
यह ग्रहण संवत 2076 आषाढ़ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा मंगलवार तारीख 16 जुलाई 2019 के दिन सम्पूर्ण भारत में खंडग्रास के रूप में स्पर्श से मोक्ष तक दिखाई देगा.
इस ग्रहण के स्पर्श-मध्य एवं मोक्ष (समाप्ति) काल आदि भारतीय समयानुसार इस प्रकार है.
ग्रहण प्रारम्भ रात्रि 1 बजकर 32 मिनट.
ग्रहण मध्य रात्रि 3 बजकर 1 मिनट.
ग्रहण समाप्ति. प्रातः 4 बजकर 31 मिनट.
ग्रहण का पर्वकाल. 2 घंटे 59 मिनट.
परमग्रास समय 0.658
इस ग्रहण के समय भारतीय काल के अनुसार भारत में 16 जुलाई की मध्यरात्रि रहेगी. यह ग्रहण भारत में तो सर्वत्र स्पर्श प्रारंभ से मोक्ष (समाप्ति) तक ही दिखेगा. इसके अलावा यह ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, मलेशिया, ताइवान, जापान, चीन, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, मंगोलिया, ईरान, टर्की, यूक्रेन, इराक, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, अंटार्टिका, कजाकिस्तान, उत्तरी अफ्रीका एवं दक्षिणी अमेरिका आदि देशों में भी दिखाई देगा.
ग्रहण का सूतक
इसे ग्रहण का सूतक नियम नियम दिनांक 16 साथ 2019 को दिन में 4:32 से मान्य होगा.
यह ग्रहण धनु राशिस्थ उत्तराषाढ़ नक्षत्र में प्रारम्भ होकर मकर राशिस्थ उत्तराषाढ़ नक्षत्र में पूर्ण होगा. इसलिए 16 जुलाई वाला यह खंडग्रास चंद्रग्रहण उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, धनु एवं मकर राशि वाले व्यक्तियों के लिए विशेष कष्टप्रद रहेगा. इन राशि वाले जातकों को ग्रहण दर्शन अतिअशुभ रहेगा ग्रहण के समय अपने इष्ट देव की आराधना, गुरुमंत्र जप एवं धार्मिक ग्रंथ का पठन तथा मेष, सिंह, वृश्चिक, मिथुन राशि के लिये यह ग्रहण सामान्य मध्यम फल. तुला, कर्क, मीन, कुम्भ राशि के लिये ग्रहण दर्शन करना शुभ सुखद फलदायक और धनु, कन्या, वृषभ, मकर राशि के लिये ग्रहण दर्शन नेष्ट फल सूचक है.
जिन राशि वाले जातकों के लिये ग्रहण अरिष्ट सूचक है अगर वो गलती से ग्रहण का दर्शन कर लें तो प्रायश्चित स्वरूप गुरु मंत्र की कम से कम 21 माला जपे ग्रहण के उपरांत पूण्य काल मे अन्न और धन का दान करने से अरिष्ट फल में कमी आती है.
जन्म एवं नाम राशि के अनुसार विभिन्न राशि वाले व्यक्तियों के लिए इस चंद्र ग्रहण का राशियों के आधार पर फल नीचे दिया गया है. चंद्र ग्रहण का प्रारंभ धनु राशि में होने से धनु राशि गत चंद्र ग्रहण का फल.
जन्म/नाम राशि……………फल
मेष अपमान
वृष महाकष्ट
मिथुन स्त्री/पति कष्ट
कर्क सुख
सिंह चिन्ता
कन्या कष्ट
तुला धनलाभ
वृश्चिक हानि
धनु घात
मकर हानि
कुम्भ लाभ
मीन सुख
चंद्र ग्रहण का मोक्ष मक राशि में होने से मकर राशिगत चंद्र ग्रहण का फल.
जन्म/नाम राशि……………फल
मेष सुख
वृष अपमान
मिथुन अतिकष्ट
कर्क स्त्री/पति कष्ट
सिंह सुख
कन्या चिंता
तुला कष्ट
वृश्चिक धनलाभ
धनु हानि
मकर घात
कुम्भ हानि
मीन लाभ
चंद्रग्रहण का वार फल एवं महात्म्य
यह ग्रहण धनु एवं मकर राशि को स्पर्श करने से एवं मंगलवार वाले दिन घटित होने से स्नान दान जप आदि के लिए विशेष महत्वपूर्ण है मंत्र जाप दान पूजा आदि इस समय विशेष फल पद माने गए हैं.
बहुफलं जपदान-हुतादिके स्मृति-पुराणविद: प्रवदन्ति हि।
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में ग्रहण होने से वर्षा अधिक हो, अनाज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो, नारियल, चावल, तिलहन, घी उड़द की दाल महंगी हो, कंदमूल, सुपारी, गुड, तेल, लाल रंग की वस्तु, चावल, सोना, मोती, आदि वस्तु का कार्य व्यवसाय भावी लाभप्रद बने.
ग्रहण का राशिफल
“धन्विन्यमात्यवर-वाजि-विदेहे मल्लान।
पाञ्चाल-वैद्य-वणिजो विषमायुधज्ञान।।”
“बृहत संहिता” के अनुसार धनु राशि मे ग्रहण होने से फल इस प्रकार है
प्रधान पुरुष, मंत्रीगण, घोड़े, मिथिला, पांचाल देशवासियों, पहलवानों, चिकित्सकों, व्यापारी वर्ग एवं शास्त्रों की जानकारी वाले, कथावाचक, कर्मकांडी पंडित और क्रूर लोगों के लिए धनु राशि का ग्रहण कष्टप्रद है.
“हन्यानमृगे तु झष-मंत्रि-कुलानी-नीचान।
मंत्रऔषधिषु कुशला स्थविरायुधियान।।”
मकर राशि में ग्रहण मोक्ष होने से यह ग्रहण जल-जंतुओं, मंत्रियों एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों, मंत्र वेत्ताओं, चिकित्सकों, वृद्धों एवं आयुधजीवियो के लिए कष्टप्रद है.
चंद्र ग्रहण का मास फल
“आषाढ़ पर्वणयुद्पान- वप्र-नदी-प्रवाह्यां फल-मूल वार्तान।
गांधार-कश्मीर-पुलिंद-चीनान हतान वदेद मण्डल-वर्षमस्मिन।।
क्योंकि यह चंद्रग्रहण आषाढ़ी पूर्णिमा आषाढ़ मास में घटित होगा. अतः बृहद संहिता के अनुसार जलप्रपातो, पानी के बड़े स्तोत्र एवं नदी नालों के अथवा पानी की टंकी बांध आदि के टूटने से विनाश की संभावना हो. पेयजल के संकट का सामना करना पड़े, नदियों में बाढ़ से हानि हो, फल एवं सब्जी विक्रेताओं को हानि हो, गांधार, कश्मीर, पुलिंद एवं चीन में संकट की स्थिति का सामना करना पड़े, वर्ष में कहीं-कहीं वर्षा हो, कहीं अतिवृष्टि हो.