पटना (ब्यूरो रिपोर्ट) | बिहार में प्लास्टिक पॉलिथीन बन्द की घोषणा से प्रेरणा लेकर एक गृहिणी मोनिका प्रसाद ने पर्यावरण-संरक्षी यानि
इको फ्रेंडली bags बनाने का उद्यम शुरू किया. गौरैया पक्षी भी आज खतरे में है जो भीषण पर्यावरण संकट का संकेत है. इस गौरैया को अपने प्रयास का प्रतीक चिह्न बनाकर उन्होंने अपने घर के खर्च से थोड़े थोड़े पैसे बचाकर यह उद्यम शुरू किया है. इसका इतना सुंदर response मिलेगा यह उन्होंने सोचा नहीं था. फिर जूट और सूती के तरह -तरह के झोलों का निर्माण शुरू हुआ. सिर्फ स्थानीय ही नहीं, बल्कि मुम्बई, दिल्ली और कोलकाता आदि शहरों से भी काफी डिमांड आयी. यहाँ तक कि कुछ ही महीनों में गौरैया इको फ्रेंडली बैग्स के खरीदार इजरायल और अमेरिका में भी हो गए हैं. मोनिका जी ने झोले सिलने का काम मोहल्ले और शहर की अन्य गृहिणियों को दिया जिससे उन्हें भी कुछ लाभ मिल सके. यह महिला उद्यमिता का एक सुंदर उदाहरण है कि एक एक गृहिणी भी घर की सारी जिम्मेवारी वहन करते हुए व्यवसायिक उद्यमिता के क्षेत्र में कदम रख सकती है. इससे पूरे समाज को कई तरह से लाभ मिलता है और जागरूकता फैलती है. मोनिका जी का दृढ़ निश्चय है कि प्लास्टिक के विरुद्ध इस जंग में पूरी ताकत लगानी जरूरी है क्योंकि यह मानव जाति के अस्तित्व पर खतरा है.
स्वयं के बचत के पैसों से करने के कारण बढ़ते डिमांड को पूरा करने में उन्हें चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है. पर सुंदर आकर्षक डिजाइन और आवश्यकता के अनुसार नए डिज़ाइन बनाने के कारण उनकी गौरैया क्रियेशन्स के झोलों के ग्राहकों और प्रशंसकों की संख्या बढ़ती जा रही है.