पटना / नई दिल्ली (ब्यूरो रिपोर्ट) | मद्रास हाईकोर्ट के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई में अंतरिम आदेश सुनाते हुए आदेश दिया कि लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ न करते हुए ऑनलाइन दवाओं की बिक्री पर तुरंत रोक लगाई जाए. इस आदेश में खासबात ये हैं कि दिल्ली हाईकोर्ट ने यह रोक पूरे देश में लगाई है.
दरअसल ऑनलाइन गैरकानूनी बिक्री से दवाओं के दुरुपयोग जैसी समस्याओं को रोकने हेतु दिल्ली हाईकोर्ट में डॉक्टर जहीर अहमद, जो एक डर्मेटोलॉजिस्ट है, द्वारा एक याचिका दायर की गई. याचिका में कहा गया है कि दवाओं की ऑनलाइन गैरकानूनी बिक्री से दवाओं के दुरुपयोग जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वीके राव की पीठ ने उस याचिका पर अंतरिम आदेश दिया, जिसमें याचिकाकर्ता द्वारा दवाओं की ऑनलाइन ‘गैरकानूनी’ बिक्री पर रोक लगाने की मांग की गई थी.
अदालत ने इससे पहले इस याचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन, भारतीय फार्मेसी परिषद से जवाब मांगा. अदालत ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए अगले साल 25 मार्च की तारीख तय की. डर्मेटोलॉजिस्ट जहीर अहमद की तरफ से लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता और इस पर तुरंत लगाम लगाने की जरूरत है. बात यह है कि दरअसल, याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को बताया कि हर रोज लाखों की तादाद में नियमों को ताक पर ऑनलाइन दवाइयों को बेचा जा रहा है. ऑनलाइन द्वारा दवाइयों को बिना डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन के बेचा जा रहा है. यहां तक कि लोगों द्वारा भेजे जा रहे ई-मेल पर भी दवाइयों को घर पर ऑनलाइन भेजा जा रहा है. याचिकाकर्ता के अनुसार इस तरीके से ऑनलाइन बेचे जा रहे दवाओं से मरीजों के जीवन के साथ चिकित्सकों की साख पर भी खतरा है. जहीर अहमद के वकील नकुल मोहता ने कोर्ट को बताया कि दवाओं की ऑनलाइन बिक्री में ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 तथा फार्मेसी एक्ट 1948 का उल्लंघन किया जा रहा है. याचिका में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि कुछ ई-फार्मेसी कम्पनिया प्रतिबंधित दवाओं की भी सप्लाई लोगों तक भेजती हैं. इस अपील में यह भी उल्लेख किया गया था कि भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ने 2015 में सभी राज्यों को ड्रग कंट्रोलर को ऑनलाइन दवा की बिक्री के दौरान जनता के स्वास्थ्य के हित को ध्यान में रखने के निर्देश दिए थे.
पिछले महीने मद्रास हाईकोर्ट ने भी लगाई थी रोक
ज्ञातव्य है कि पिछले महीने मद्रास हाईकोर्ट ने ‘केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन’ की याचिका पर सुनवाई करते हुए ऑनलाइन फार्मेसी पर रोक लगाने के आदेश दिए थे. उस याचिका में एसोसिएशन की दलील थी कि ऑनलाइन दवाइयों से लोगों को तो सुविधाजनक हो सकती है लेकिन बिना लाइसेंस वाले स्टोर से दवा खरीदना जोखिम भरा होता है.
उल्लेखनीय है ऑनलाइन दवा की बिक्री को लेकर भारत में अभी कोई नियम-कानून नहीं है. इसी बात का फायदा ई-फार्मेसी कंपनियों द्वारा उठाया जा रहा है तथा धड़ल्ले से बिना प्रिस्क्रिप्शन के दवाओं की बिक्री की जा रही है.