आरा (ओ पी पाण्डेय के साथ सत्यप्रकाश सिंह की रिपोर्ट) | बिहार के मुज्जफरपुर बालिका गृह यौन शोषण मामले के बाद बिहार की शासन व्यवस्था एक बार फिर से शर्मसार हुई है क्योंकि इस बार भोजपुर में बहुत ही संवेदनहीन घटना प्रकाश में आया है. मुजफ्फरपुर जिले के बाद भोजपुर जिले के बाल पर्यवेक्षण गृह में बंद बाल-बंदियो के साथ अप्राकृतिक यौनचार्य का मामला प्रकाश में आया है.
दरअसल नगर थाना क्षेत्र के धनुपरा के समीप स्थित बाल पर्यवेक्षण गृह में उस वक्त सनसनी फैल गई जब बाल पर्यवेक्षण गृह के अंदर बंद करीब आधा दर्जन बाल बंदियों के साथ जबरन अप्राकृतिक यौनाचार की घटना को अंजाम दिया गया.
इस घटना के बाद पीड़ित नाबालिग बंदियो को आरोपियो ने परिजन व पुलिस को नही बताने की धमकी देते हुए तीन बालबंदियो के साथ मारपीट कर उन्हे बुरी तरह जख्मी भी कर दिया है. मामले की जानकारी मिलते ही बाल पर्यवेक्षण गृह प्रशासन के बीच खलबली मच गई और आनन फानन में जख्मी तीनो पीड़ितों को प्रेक्षागृह प्रशासन ने तत्काल इलाज के लिए आरा सदर अस्पताल भेज दिया. बताया जा रहा है कि कैमूर जिले के दो बालबंदी व एक भोजपुर का बालबंदी था जो 31 तारीख को एससी-एसटी एक्ट व हत्या के मामले में बाल पर्यवेक्षण गृह लाया गया था. जहां उसमें बंद करीब 7-8 नामजद बाल बंदियों द्वारा उनको प्रताड़ित करते हुए बाथरूम में ले जाकर उनके साथ बारी-बारी से जबरन सामूहिक अप्राकृतिक यौनाचार की घटना को अंजाम दिया गया. अप्राकृतिक यौनाचार के आरोपियों ने तीनों पीड़ित नाबालिगों को परिवार व पुलिस को नहीं बताने की धमकी देते हुए उनकी बुरी तरह से पिटाई भी की है जिससे वे गंभीर रुप से जख्मी हो गए हैं.
पीड़ित नाबालिगों ने बताया कि बाल पर्यवेक्षण गृह के अंदर हम सभी तीनों लोगों के साथ करीब तीन-चार और लोगों के साथ भी अप्राकृतिक यौनाचार की घटना को अंजाम दिया गया है. लेकिन आरोपियों द्वारा उन्हें डरा-धमकाकर किसी से कहने को मना किया गया है.
आज जब दो नाबालिग बंदियों को उनके परिजन बेल के बाद लेने आए तो दोनों पीड़ितों ने अपनी आपबीती परिजनों को सुनाई जिसके बाद परिजनों ने दोनों को इलाज के लिए आरा सदर अस्पताल लाया. बहरहाल इस मामले को लेकर बाल पर्यवेक्षण गृह प्रशासन के अधिकारी फिलहाल कैमरे पर कुछ भी बोलने से साफ मना कर रहे हैं. अब ऐसे में इस लचर व्यवस्था के लिए आखिर किसको दोषी ठहराया जाए, आखिर कौन है ऐसे संवेदनहीन घटना का जिम्मेदार.