कोइलवर, 28 जून. भाषा वैज्ञानिकों द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि हरेक भाषा विशेषकर उसकी लिपि का विकास पुराकालीन चित्रकला,रेखाचित्रों और प्रतीकों के साथ आरम्भ हुआ.बिहार में भोजपुरी,मैथिली और मगही तीनों मुख्य भाषाओं की अपनी कला शैली भोजपुरी पेंटिंग, मधुबनी पेंटिंग और पटना कलम हैं. निश्चय ही तीनों भाषाओं और इनकी लिपियों के विकास का इन कला शैलियों से सम्बन्ध रहा होगा. इनमें से भोजपुरी पेंटिंग भी भोजपुरी भाषा की तरह उपेक्षित ही रही है. मधुबनी पेंटिंग की तरह इसको संरक्षण,संवर्धन और प्रसिद्धि नहीं मिल पाई. इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए भोजपुरी के विकास हेतु समर्पित संस्था ‘आखर’ आगामी 6 से 8 जुलाई तक कोइलवर में एक कार्यशाला-सह-प्रदर्शनी का आयोजन करेगी. आयोजन समिति की बैठक आज कबीर जयंती और विश्व भोजपुरी दिवस के मौके पर कोइलवर मधुबन होटल के प्रांगण में हुई. इस कार्यशाला का नाम ‘भोजपुरी कला यात्रा’ रखा गया है. कार्यशाला के मीडिया प्रभारी दीपक गुप्ता और आखर परिवार के वरिष्ठ सदस्य मनोज कुमार दुबे ने बताया कि इस कार्यशाला को चर्चित युवा चित्रकार संजीव सिन्हा के मार्गदर्शन में आयोजित किया जाएगा. 6 जुलाई को कार्यशाला का उदघाटन और 8 जुलाई को समापन होगा,जिसमे अंतिम दिन प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र भी दिया जाएगा और यह कला यात्रा शीघ्र ही समस्त भोजपुरी भाषी क्षेत्र के अन्य स्थानों जैसे चेनारी, छपरा,डुमरांव आदि में भी आयोजित की जाएगी.
बैठक में शामिल चित्रकार और कार्यशाला निदेशक संजीव सिन्हा ने कहा कि भोजपुरी कला अब तक गाँव में सीमित थी और कोहबर कला के नाम से जानी जाती थी परंतु अब वक्त आ गया है कि इस कला का प्रचार-प्रसार हो और इसे उचित मान-सम्मान मिले. ज्ञात हो कि संजीव सिन्हा ‘सर्जना’ के नाम से पूर्व में भी भोजपुरी पेंटिंग पर कार्यक्रमों का आयोजन करते रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न स्थानों पर ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन से कलाकारों को भी ग्रामीण क्षेत्रों से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा. बैठक में शामिल अन्य सदस्यों नरेंद्र राधेय,नीरज, आलोक भारती,रवि,सुनील पांडेय,आलोक सिंह ने क्षेत्र की जनता विशेषकर युवा विद्यार्थियों से इस में बढ़-चढ़कर भाग लेने की अपील की.