एक बेहतर प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोहा
राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव रंग जलसा-2016 के दूसरे दिन दिनांक 20 सितम्बर को निर्माण कला मंच द्वारा श्रीकांत किशोर लिखित एवं संजय उपाध्याय द्वारा निर्देशित हरसिंगार का प्रभावशाली मंचन किया गया.इस प्रस्तुति में निर्देशक संजय उपाध्याय ने अपनी रचनात्मकता से प्रस्तुति को जीवंत बना दिया जिसे दर्शकों ने भी खूब सराहा. सामाजिक पृष्ठभूमि पर बुने गए कहानी के शिल्प और उसकी मनमोहक प्रस्तुति ने लोगों को अंत तक बांधे रखा.नाटक हरसिंगार मानवीय रिश्तों पर आधारित एक कहानी है. जिसके केंद्र में है डोमकच करने वाला परिवार. गरीब का परिवार अमीरों की मजदूरी कर के और उनके ही रहमोकरम पर चलता है,कभी आबरू लुट जाती है गरीब की, तो कभी मारपीट और गरीब आदमी चाह कर भी मालिकों का विरोध नहीं कर पाता है.कुछ ऐसी ही कहानी घुमती रही नाटक हरसिंगार में.नाटक में संगीत के विभिन्न प्रयोगों ने प्रस्तुति को जीवंत बना दिया.ग्रामीण परिवेश के शिल्प और वस्तुएं रंगमंच पर पूरी कहानी को उतारने में नाटक के निर्देशक ने कोई कसर नहीं छोड़ी.
क्या है कहानी
गरीब और छोटी जाति का हरबिसना पत्नी हरबिसनी के साथ बड़े लोगों के खेतों में मजदूरी कर दो पैसे कमा खुश रहता है. बड़े लोग उसके साथ हमेशा दुर्व्यवहार करते हैं. हरबिसनी अत्यंत सुंदर स्त्री है. उसकी सुंदरता लोगों को आकर्षित करती है. वहां का राजा भी उसपर मोहित हो जाता है और उसके साथ दुष्कर्म करता है. हरबिसनी के गर्भवती हो जाती है, जिसे देख उसका पति काफी खुश होता है. हरबिसनी उसे सारी बात बता देती है. राजा पर हरबिसना खूब गुस्सा तो करता है, लेकिन उसका कुछ बिगाड़ नहीं पाता और गर्भ में पल रहे बच्चे को अपना लेता है.
रंग संगीत:
नाटक के पूर्व कालिदास रंगालय में भोपाल के कलाकारों ने रंग-संगीत की प्रस्तुति से दर्शक खूब आनंदित हुए . मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय के दीक्षा साहू, अंजली सिंह, ऋचा तिवारी, गरिमा मिश्र, पुनीत मिश्रा, अनुराग सिंह आदि ने आकर्षक प्रस्तुति दी.
मंच पर कलाकार
:सूत्रधार – अभिषेक शर्मा,नटी – शारदा सिंह,हरबिसना – जय कुमार भारती,हरबिसनी – रूबी खातुन,राजा – सुमन कुमार,रानी – शिल्पा भारती,दीवान – कुंदन कुमार,दलाल – उत्तम कुमार,व्यापारी – स्वरम उपाध्याय,दारोगा – पप्पु ठाकुर,सिपाही – मन कुमार,मलुआ – राजीव राय,नर्तक – कुमार उदय सिंह
पार्श्व मंच कलाकार –
प्रकाश – विजेन्द्र कुमार टांक,रूप सज्जा – विनय राज,मंच परिकल्पना – प्रबोध विश्वकर्मा,मंच निर्माण – रंजीत कुमार,वस्त्र विन्यास – रूबी खातुन
फोटो सौजन्य- कजरी पाण्डेय