भोजपुर के अमरेश ने बनायी “लिम्का बुक” में जगह
भोजपुर के छोरे ने बनाया दुनिया की सबसे बड़ी खादी की गाउन
लिम्का बुक में पहुंचा भोजपुरिया लड़के का खादी फैशन
NSRASAT ने किया सम्मानित
पटना नाउ की Special रिपोर्ट:
आरा, 18 मार्च. “सपने वो नही जो हम सोते हुए देखते हैं सपने वो होते हैं जिसे पूरा करने तक हम सोते नही हैं“…उक्त पंक्तियां अब्दुल कलाम की है जिसे सभी जानते हैं लेकिन इसे याद करने के पीछे एक ऐसे ही शख्स की मेहनत है जिसके सपने ने उसे तबतक सोने नही दिया जबतक उसने मुकाम हासिल नही कर ली. हम बात कर रहे हैं भोजपुर के अमरेश सिंह की, जिसने फैशन जगत में खादी की सबसे लंबी गाउन बना वर्ल्ड रिकार्ड बनाया है. 200 मिटर लंबे इस गाउन को बनाने के बाद ‘लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ ने अपनी इस साल प्रकाशित बुक में अमरेश सिंह का नाम दर्ज कर उसके मेहनत को प्रमाण दिया है.
ये हैं इस गाउन की खास बातें
देश मे सबसे बड़े गाउन बनाने का अबतक का खिताब 149 मीटर का है जिसे फैशन डिजाइनर ऑफ कोयम्बटूर के छात्रों ने त्रिपुरा में बनाया था. 200 मीटर लंबे खादी का गाउन बना अमरेश ने तोड़ा रिकार्ड और बन गए वर्ल्ड फेमस. क्योंकि अबतक खादी की इतनी बड़ी गाउन किसी ने नही बनाई है. 1 हफ्ता में 6 सहायक डिजाइनरों चंचल वर्मा,रिया शर्मा, अंतिमा शर्मा,गूँजन पखड़िया, रिंकी गिधवानी और रुखसार शेरवानी ने की कड़ी मेहनत से इसे तैयार किया. अजमेर मेरवाड़ा ग्राम सेवा मंडल अध्यक्ष महेश चन्द्र गोयल ने अमरेश के लग्न से प्रभावित हो उसे गाउन के लिए कपड़े दिए.
गांव के लड़के से फैशन डिजाइनर तक का सफर
अमरेश सिंह भोजपुर के अगिआंव प्रखंड के बेरथ के रहने वाले डॉ अवधेश सिंह के बेटे हैं. पिता होमियोपैथी के डॉक्टर हैं. प्रारम्भिक शिक्षा आरा के सम्भावना उच्च विद्यालय में हुई. अमरेश ने पेंटिंग की शिक्षा राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध चित्रकार भुनेश्वर भास्कर, संजीव सिन्हा और रौशन राय से ली. जैन कॉलेज से इंटर और फिर स्नातक किया. स्नातक के बाद अमरेश ने अजमेर से फैशन डिजाइनिंग में मास्टर डिग्री लिया. फैशन की डिग्री के बाद अमरेश मुम्बई गए और नीता लूला, मनीष मल्होत्रा और रियाज गांजी जैसे फेमस डिजाइनरों के साथ 4 साल तक काम किया. लेकिन इस बीच कुछ खास करने की ललक ने अमरेश को अपनी खुद की कम्पनी चालू करने को प्रेरित किया. अमरेश ने इंसेम्बल फैशन नाम से खुद की कम्पनी बनाई और अजमेर वापस आ गये. नीता लूला और मनीष मल्होत्रा जैसे वर्ल्ड फेम डिजाइनरों के साथ काम करने वाले अमरेश को D’cole कॉलेज जहाँ से उन्होंने डिजाइनिंग की थी वहां के ब्रांड बन गए और वहां कई बार गेस्ट के तौर पर पढ़ाया भी.
इस बीच खुद के डिजाइन पर काम करना शुरु किया. कई फैशन शो में भाग लिया तो कई ऑर्गनाइज किया. लैक्मे फैशन से लेकर दिल्ली फैशन वीक तक मे भागीदारी रही. निरंतर नए प्रयोग और अभ्यास से कुछ नया और बड़ा करने की ललक वर्ल्ड रिकार्ड की ओर गया और खादी के 200 मीटर लंबे वेडिंग गाउन बना इतिहास रच दिया. इस वेडिंग गाउन को बनाने में एक हफ्ते लगे जिसमें 6 लोगों की टीम ने दिन-रात काम किया. अमरेश ने अपने इस गाउन का प्रदर्शन पिछले साल किया था जिसका उद्घाटन केंद्रीय लघु एवं सूक्ष्म उद्योग मंत्री गिरिराज सिंह ने किया था. फिलहाल अमरेश फैशन में पीएचडी कर रहे हैं. अमरेश का सपना अभी थमा नही वे गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने के लिए काम कर रहे है और अगले एक साल के अंदर 15000 मीटर लंबा गाउन बनाकर वे ये सपना भी पुरा करेंगे.
कैसे हुए फेमस?
वैसे तो बचपन से अपने पापा के खादी के कपड़ों ने अमरेश को काफी प्रभावित किया और खादी पर प्रयोग करने के विचार आते रहते थे लेकिन जयपुर लिट्रेचर फेस्टिबल में महात्मा गांधी के प्रौपुत्र तुषार गांधी के बक्तव्य से प्रेरित होने के बाद खादी की धुन ने रफ्तार पकड़ ली. खादी प्रति काम करने की धार तुषार गांधी के शब्दों ने दे दी. फिर क्या था अमरेश ने 31 जनवरी को बापू की पुण्यतिथि पर जब बापू की प्रतिमा को ही खादी की धोती और सूत की माला पहनाई तो देखने वाले सन्न रह गए. किसी ने इस प्रयोग के बारे में सोचा ही नही था कि खादी भी फैशनेबल बन सकता है. अमरेश का यह प्रयोग अब फैशन बन गया. मीडिया में अमरेश का यह प्रयोग छा गया, जहाँ से अमरेश लाइम लाइट में आ गए. उस समय खादी ग्रामोद्योग राज्य मंत्री रमेश गोयल ने अमरेश को सम्मानित भी किया. अमरेश को फिर सिंहस्थ महाकुंभ में साधु-संतों के वस्त्र को डिजाइन करने का मौका मिला तो उसने पीले, लाल, केसरिया, उजले सहित कई रंगों में खादी के धोती, कुर्ता, जैकेट,पजामा और साध्वी साड़ी के डिजाइन बना एक बार पुनः सुर्खियां बटोरी. अमरेश के खादी फैशन का यह रंग न सिर्फ खादी पर चला बल्कि लोगों के दिमाग पर चढ़ गया और लगा नित नए आकार लेने.
जिला प्रशासन ने नही ली अमरेश की सुध, लेकिन संस्थान दे रहे हैं बधाई और सम्मान
फैशन डिजाइनर अमरेश सिंह को लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कर भोजपुर के गौरव का मान बढ़ाने पर भले ही प्रशासन की ओर से कोई बधाई संदेश नही आया हो लेकिन संस्थान उन्हें बधाइयाँ और सम्मान दे खुद को गर्वान्वित महसूस कर रही हैं. नेशनल साईंटिफिक रिसर्च एवं सोशल एनालिसिस ट्रस्ट ने शनिवार शाम को मठिया प्रांगण स्थित अपने कार्यालय में उन्हें सम्मानित किया. 25 वर्ष की उम्र में अमरेश ने यह रिकॉर्ड बना युवाओं के लिए मिशाल पेश की है. नेशनल साईंटिफिक ट्रस्ट के अध्यक्ष श्याम कुमार ने अमरेश को बुके और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया. उन्होंने अमरेश को इतनी कम उम्र में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए बधाई दिया. साथ ही कहा कि अमरेश ने सिर्फ अपना नाम रौशन नही बल्कि हर भोजपुरवासियों के सिर फक्र से ऊंचा किया है. फैशन की दुनिया मे यह रिकॉर्ड सिर्फ रिकॉर्ड नही बल्कि स्वर्णाक्षरों में लिखा गया वो इतिहास है जिसे सदियों तक आने वाली पीढियां याद रखेंगी.
इस मौके पर ट्रस्ट में प्रशिक्षण दे रही स्टेट अवार्डी रोमा वर्मा ने भी अमरेश के इस कीर्ति पर खुशी ब्यक्त कर कहा कि युवाओ के लिए अमरेश एक आदर्श बन गए हैं जो उन्हें काम करने के लिए प्रेरित करेंगे. इस मौके पर अमरेश के पेंटिंग गुरु संजीव सिन्हा ने कहा कि अमरेश बचपन से ही लगनशील और शालीन ब्यक्ति था जो बोलने में कम और काम करने में ज्यादा विश्वास रखता था, शायद यही वजह है कि अमरेश आज इतने ऊंचे मोकाम पर है. वही अमरेश के स्कूल के समय के थियेटर गुरु रहे ओ पी पांडेय ने अमरेश के जीवन के कई प्रसंगों पर प्रकाश डाला. ओ पी पांडेय, अमरेश के सबसे करीबी लोगों में से एक हैं जो स्कूल से अबतक साथ है और कई सारे प्रोजेक्ट में साथ रहे हैं.
इस मौके पर सम्मान से भाव विभोर अमरेश ने कहा कि आज मैं जो भी हूँ वो अपने इर्द-गिर्द अच्छे विचारों और संस्कार वालों की वजह से हूँ. जीवन मे अगर सकरात्मकता की ऊर्जा हमेशा बनी रहे तो कुछ भी असंभव नही है. साथ ही इस उपलब्धि के पीछे अमरेश ने अपने माता-पिता की सबसे बड़ी भूमिका बताई,जिन्होंने भरोसा किया और फैशन जैसे क्षेत्र में जाने की आजादी दी.
ट्रस्ट में प्रशिक्षको और प्रशिक्षुओं के लिए ये सब बातें सपने की तरह लग रही थी क्योंकि इतने बड़े लेबल पर जाने के बाद भी अमरेश बिल्कुल सरल और सामान्य ही नजर आ रहे थे. अमरेश ने इस दौरान वस्त्र मंत्रालय द्वारा दिये जा रहे एप्लिक और कसीदाकारी के प्रशिक्षुओ को बहुत सारे फैशन के गुर बताए और उनके द्वारा बनाई डिजाइनों को देखा. अमरेश ने ट्रस्ट से कहा कि अगर ऐसे डिजाइनों के ज्यादा उत्पाद मुहैया कराएँ जाए तो वो उन्हें बाजार उपलब्ध कराएंगे. 20 मार्च को सम्भावना विद्यालय भी अमरेश को इस बड़ी सफलता पर सम्मानित करने वाला है.
आरा से अपूर्वा की रिपोर्ट