पटना (ब्यूरो रिपोर्ट) । लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन, मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार, सी0पी0ए0 कार्यकारिणी समिति की सभापति श्रीमती एमिलिया मोंजोवा लिफाका, ऑस्ट्रेलिया प्रक्षेत्र के प्रतिनिधि श्री टेरी मिल्स सहित मंच पर मौजूद अतिथियों ने संयुक्त रूप से छठा भारत प्रक्षेत्र राष्ट्रमंडल संसदीय संघ सम्मेलन के प्रारंभिक सत्र का विधिवत शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर किया। पटना के अशोक कन्वेंशन केंद्र स्थित ज्ञान भवन सभागार में आयोजित इस तीन दिवसीय सी0पी0ए0 सम्मेलन में रोल ऑफ पार्लियामेंट एडं पार्लियामेंट्रीयन इन सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल के साथ ही लोकतंत्र के दो आधार स्तम्भ न्यायपालिका और विधायिका में कैसे ताल-मेल बिठाकर काम किया जाय, इन दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन चर्चा की जाएगी। उद्घाटन सत्र का आरंभ राष्ट्रगान से किया गया। बिहार के गौरवमयी इतिहास पर आधारित विधानसभा द्वारा तैयार की गयी लघु फिल्म को इस सम्मेलन में दिखाया गया। इस अवसर पर बिहार विधानसभा अध्यक्ष श्री विजय कुमार चैधरी ने स्वागत भाषण दिया, जबकि बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सभापति मो0 हारून रशीद ने धन्यवाद ज्ञापन किया। यह सम्मेलन 19 फरवरी तक चलेगा।
छठे सी0पी0ए0 सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री नीतीष कुमार ने सबसे पहले देश के विभिन्न हिस्सों एवं विदेशों से आये आगत अतिथियों का अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा अध्यक्ष श्री विजय कुमार चैधरी ने इस सम्मेलन का आयोजन बिहार में कराने के लिए प्रस्ताव दिया था, जिसको देखते हुए लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन ने बिहार का चयन किया, इस बात के लिए मैं उन्हें विशेष तौर पर धन्यवाद देता हूँ। इस सम्मेलन के मद्देनजर पूरी बारीकी से विधानसभा अध्यक्ष द्वारा तैयारी की गई और इसके लिए सरकार से जो सहयोग मांगा गया, वो मुहैया कराई गई। आज ज्ञान भवन में सम्मेलन का आयोजन हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अशोक कन्वेंशन केंद्र में ही बापू सभागार है, जिसका उद्घाटन 10 अप्रैल 2017 को बापू के चम्पारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष के मौके पर आयोजित समारोह के जरिये हुआ। उस कार्यक्रम में देश भर के गाँधी विचारकों एवं बुद्धिजीवियों को बुलाकर सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि आज मुझे खुशी है कि सी0पी0ए0 सम्मेलन यहाँ हो रहा है, इस सम्मेलन में सभी जगहों के प्रतिनिधि, विधानमंडल के अध्यक्षगण, सभापतिगण, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यगण, विधानमंडल के सदस्यगण, इस बार के निर्धारित विचारणीय विषय जो बहुत ही उपयुक्त है, उस पर चर्चा करेंगे। रोल ऑफ पार्लियामेंट्री एंड पार्लियामेंट्रीयन इन सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल के साथ ही लोकतंत्र के दो आधार स्तम्भ विधायिका और न्यायपालिका में तालमेल बिठाकर काम आगे बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण विषय पर इस सम्मेलन में विस्तृत रूप से चर्चा की जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल को देश के पार्लियामेंट ने भी स्वीकार किया है। इस सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल में विभिन्न पहलू के तहत गरीबी, भुखमरी, शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, स्वच्छता, पर्यावरण जैसे 17 लक्ष्य निर्धारित हैं। इन सभी चीजों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है। इन चीजों को ध्यान में रखकर ही न्याय के साथ विकास की अवधारणा पर काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बापू ने विकेंद्रीकृत तरीके से विकास का जो रास्ता बताया, उसे जे0पी0 और लोहिया ने आगे बढ़ाया। हमने विकेन्द्रीकृत तरीके से बिहार के विकास की पहल की है। उन्होंने कहा कि केंद्रीकृत तरीके से कुछ इलाके का विकास हो सकता है, पूरे देश का विकास सम्भव नहीं है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ का पहले मिलेनियम डेवलपमेंट का गोल था और अब सस्टेनेबल डेवलपमेंट का गोल निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता जे0पी0 की सम्पूर्ण क्रांति और लोहिया की सप्तक्रांति का ही यह हिस्सा था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चम्पारण के लोगों को नीलहों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए राजकुमार शुक्ल ने गाँधी जी से सम्पर्क किया। गाँधी जी ने कहा कि जब तक मैं स्वयं नहीं देखूंगा, तब तक कोई प्रतिक्रया नहीं दूंगा। इसके बाद राजकुमार शुक्ल गाँधी जी को चंपारण लाने के लिए निरंतर लगे रहे। राजकुमार शुक्ल के काफी प्रयास के बाद गाँधी जी का चम्पारण दौरा हुआ, उस समय गाँधी जी ने लोगों की सिर्फ बातें सुननी शुरू की और उसे नोट करना शुरू किया। किसानों में जागृति आई और अभियान को सफलता मिली। गाँधी जी के चम्पारण दौरे के बाद अंग्रेजों को घुटने टेकने पड़े। नीलहों के अत्याचार से चम्पारण के किसानों को मुक्ति मिली, इसके अलावा गाँधी जी ने देखा कि यहाँ स्वच्छता, स्वास्थ्य, शिक्षा के प्रति लोगों में जागृति नहीं है, इन चीजों के प्रति भी गाँधी जी ने अभियान चलाकर लोगों को प्रेरित किया और जागृति लायी। उस समय गाँधी जी ने अपने अभियान में महिलाओं को भी जोड़ा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 72वें और 73वें संविधान संशोधन के जरिये महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण दिया गया लेकिन हमने देखा कि महिलाओं की आधी आबादी है, जिसको ध्यान में रखते हुए पंचायती राज और नगर निकाय के चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत का आरक्षण दिया। उसके बाद अब तक 3 बार चुनाव हुए जिसमे आधे से अधिक महिलायें चुनाव जीतकर आयीं। लड़कियों को शिक्षा से जोड़ने के लिए पोशाक योजना और हाई स्कूल के बाद साइकिल योजना की भी हमने शुरुआत की। महिलाओं के लिए सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाया और केंद्र सरकार ने उसी मॉडल को स्वीकार कर आजीविका कार्यक्रम चलाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में अब तक 8 लाख स्वयं सहायता समूह बन चुका है और मुझे पूरा विश्वास है कि अगले एक साल में सेल्फ हेल्प ग्रुप की संख्या 10 लाख हो जायेगी। उन्होंने कहा कि अब बिहार की महिलाओं में बैंकों के साथ अन्य चीजों के काम के प्रति काफी जागृति आई है, उनमें आत्मविश्वास का भाव जगा है और महिलायें आत्मनिर्भर बनीं हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार पुलिस में कांस्टेबल और सब इंस्पेक्टर के पद पर बहाली में 35 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया, इसके साथ ही बिहार के सभी थानों में चार से पांच महीने के अंदर महिला पुलिसकर्मियों के लिए अलग से वाशरूम और टॉयलेट का इंतजाम भी किया गया, जिसका नतीजा है कि इतनी बड़ी संख्या में महिलायें पुलिस महकमे में देखने को मिल रही हैं। उसके बाद राज्य सरकार की सभी सेवाओं में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान लागू किया गया।
लोकसभा अध्यक्ष से अपील करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं तो चाहूँगा कि महिला आरक्षण बिल जो राज्यसभा से पास हो गया है, उसे अब लोकसभा से भी पारित किये जाने की आवश्यकता है ताकि संसद और विधानमंडल में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण का लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता की बात हो रही है, ऐसे में महिला आरक्षण बिल लोकसभा से भी अतिशीघ्र पास होना चाहिए। इससे महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य, शिक्षा, स्पेस, हर जगह महिलाओं की मौजूदगी है, ऐसे में महिलाओं की जो क्षमता और मेधा है, उसका इस्तेमाल होना चाहिए। हमने इस दिशा में काफी पहल की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं के एक सम्मेलन में शराबबंदी की मांग की गयी, जिसके बाद हमने शराबबंदी लागू करने का फैसला लिया। उन्होंने कहा कि इसको लेकर पहले मेरे मन में द्वन्द और दुविधा का भाव रहता था लेकिन जब महिलाओं ने इसको लेकर आवाज उठायी तो मेरे मन के अंदर की दुविधा खत्म हो गयी। 1 अप्रैल 2016 से बिहार में शराबबंदी की घोषणा की गयी और उसके कुछ ही दिन बाद 5 अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू हुई। इसका नतीजा यह हुआ कि आज पूरे बिहार में शान्ति का माहौल है और अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा जो लोग शराब में गंवा देते थे, अब उन पैसों का इस्तेमाल बच्चों के भरण-पोषण और उनके आर्थिक उत्थान में हो रहा है। शराबबंदी को लेकर बिहार विधानमंडल के सदस्यों ने भी सदन के अंदर शराब न पियेंगें और न ही किसी को पीने देने का संकल्प लिया। इस तरह बिहार में एक माहौल बना, इससे नारी सशक्तिकरण को काफी बल मिला।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ अभियान की शुरुआत बापू के चम्पारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष के अवसर पर इसी अशोक कन्वेंशन केंद्र प्रांगण में बने बापू सभागार से की गयी। उन्होंने कहा कि 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के की शादी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दहेज लेना गुनाह है फिर भी यह धड़ल्ले से चालू है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ इसी वर्ष 21 जनवरी को पूरे बिहार में शराबबंदी की तरह ही मानव श्रृंखला बनाई गयी, जिसमें 14 हजार किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला में लोगों ने खड़े होकर इन सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अपनी भावना का प्रकटीकरण किया था। उन्होंने कहा कि 2015-16 में शराब से 5 हजार करोड़ रूपये की आमदनी सरकार को होती थी तो बहुत लोगों को लगता था कि शराबबंदी से सरकार को राजस्व का नुकसान होगा। पर्यटकों की संख्या में कमी आएगी लेकिन शराबबंदी के बाद पाया गया कि बिहार आने वाले देशी और विदेशी पर्यटकों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई। उन्होंने कहा कि लोग बिहार श्रद्धा के कारण आते हैं। यह भगवान बुद्ध के ज्ञान और भगवान महावीर के जन्म, ज्ञान, निर्वाण की भूमि है। बिहार में बोधगया, राजगीर, वैशाली, गया, नालंदा जैसे कई ऐतिहासिक और पर्यटकीय स्थल हैं, जिसे देखने लोग देश-दुनिया से आते हैं न कि शराब पीने।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सम्मेलन में सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर चर्चा होनी है, जिसमें सामाजिक विषयों को भी ध्यान में रखते हुए चर्चा करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि गाँधी जी कहा करते थे कि प्रकृति जरूरत को पूरा कर सकती है, लालच को नहीं। इसलिए जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण के साथ-साथ स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे हर महत्वपूर्ण विषयों को ध्यान में रखते हुए डेवलपमेंट पर चर्चा होनी चाहिए। हम जब पर्यावरण की बात करते हैं तो गाँधी जी के गूढ़ मन्त्र को भी लोगों को बताना पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा नदी के प्रवाह में कमी होने के कारण आज गंगा की अविरलता पर संकट है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में पहले 1100 मिलीमीटर औसतन वर्षापात होती थी, जो अब 800 मिलीमीटर के आस-पास रहती है।
मातृ मृत्यु दर की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बाल विवाह के कारण कम उम्र में गर्भधारण करने से अधिकाँश महिलायें मौत की शिकार हो जाती हैं, उनसे जो बच्चे पैदा होते हैं, वे बौनेपन, मंदबुद्धि के साथ ही अन्य कई बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि पाँच साल के बच्चों की जो ऊँचाई होनी चाहिए, आज वह नहीं देखने को मिलती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि खुले में शौच से मुक्ति और स्वच्छ पेयजल अगर ये दो चीजें लोगों को मुहैया हो जाए तो 90 प्रतिशत बीमारियों से लोगों को छुटकारा मिल जाएगा। ऐसे में जो 10 प्रतिशत लोग बीमार होंगे, उनके लिए बेहतर अस्पताल और मेडिसिन की व्यवस्था हो सकेगी। उन्होंने कहा कि विकास में सामाजिक न्याय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय के अनुरूप एस0सी0, एस0टी0, बी0सी0, अल्पसंख्यक और महिलाओं के लिए न्यायसंगत इंतजाम करना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पार्लियामेंट का सबसे बड़ा रोल है, उसी के फैसले के अनुरूप लेजिस्लेचर प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि पहले पूरे देश में और देश के बाहर बिहार की छवि अलग थी लेकिन अब बिहार के प्रति लोगों की सोच में परिवर्तन आया है। उन्होंने कहा कि प्रकाश पर्व और शुकराना समारोह के दौरान लाखो की संख्या में सिख श्रद्धालु बिहार आये। उन्होंने कहा कि जो लोग बिहार आयेंगे वही बिहार और बिहारियों के बारे में नजदीक से जान पायेंगे। उन्होंने कहा कि मगध साम्राज्य की राजधानी यही पाटलिपुत्र है। चन्द्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक, और चाणक्य की यह धरती है, जहाँ अर्थशास्त्र की रचना हुई। उन्होंने कहा कि बिहार का इतिहास पुराना है और यह गौरवषाली है। हमारा फर्ज है कि उस पुराने गौरव को हम फिर से हासिल करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि वोट पाने के चक्कर में आज लोग काम करते हैं लेकिन हम वोट की नहीं बल्कि वोट देने वाले की चिंता करते हैं। प्रकाशपर्व में लोगों को बिहार की छवि के विषय में अच्छी तरह एहसास हो गया। सम्मेलन में देश-विदेश से आये अतिथियों से आग्रह करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण भूमि है और मैं सबसे आग्रह करूंगा कि बिहार आयें है तो कुछ जगहें हैं, उसे जरुर देखने जायें ताकि यह सम्मेलन आपके लिए यादगार बन जाए।
सम्मेलन को लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन, सी0पी0ए0 कार्यकारिणी समिति की सभापति श्रीमती एमिलिया मोंजोवा लिफाका, बिहार विधानसभा अध्यक्ष श्री विजय कुमार चैधरी, उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सभापति मो0 हारून राशिद ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम के उपरांत मुख्यमंत्री ने लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन को सम्राट अषोक कन्वेंषन केन्द्र में बनाये गये बापू सभागार का अवलोकन कराया।
इस अवसर पर पेसिफिक प्रक्षेत्र के प्रतिनिधि, टोंगा संसद के श्री लार्ड फाकाफानुआ एवं सचिव, श्रीमती ग्लोरिया गुटेनबिल, सी0पी0ए0 के महासचिव श्री अकबर खान, विभिन्न प्रांतीय विधायी निकायों के अध्यक्ष एवं सभापतिगण, लोकसभा एवं राज्यसभा के महासचिव के साथ उनके अन्य पदाधिकारीगण, विभिन्न विधायी निकायों के सचिवगण, बिहार मंत्रिपरिषद के सदस्यगण, राष्ट्रमंडल संसदीय संघ-बिहार शाखा के सभी सदस्यगण, विधायकगण एवं पूर्व विधायकगण, वरीय अधिकारीगण एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।