जानिए कैसे खुली योगी सरकार की पोल…
कासगंज के SP सुनील सिंह को हटाने की वजह आई सामने
कासगंज, 4 फरवरी. कासगंज के एसपी को हटा दिया गया है. ये शीर्षक पढ़ कर आपको शायद लगेगा कि दंगे रोक पाने में नाकाम रहने के कारण एसपी सुनील सिंह की छुट्टी हुई. लेकिन ये सच का एक हिस्सा है. पूरा सच ये है कि सुनील सिंह को दंगा रोकने और निष्पक्ष तरीके से प्रशासन चलाने के कारण चलता किया गया. जिस दिन से मामला सामने आया उसी दिन से सरकार में बैठे कई नेताओं की उन पर कोप भरी दृष्टि थी.
सुनील सिंह वो अफसर थे जिन्होंने जमकर दंगा रोकने की कोशिश की और सीधे-सीधे उन्हें भी दंगों में बुक कर दिया जिनके हाथ में तिरंगे की जगह उत्तर प्रदेश के सबसे विवादित रंग का झंडा था. इतने पर भी सुनील सिंह बर्दाश्त कर लिए जाते, लेकिन उन्होंने मीडिया में साफ साफ बयान देकर इसके पीछे छुपे राजनीतिक रंग को साफ कर दिया.
सुनील सिंह ईमानदार और निष्पक्ष अफसर थे.दंगे में जो भी शामिल दिखाई दिया उसे बुक किया. उन्होंने 60 दंगाईयों को सलाखों के पीछे डाल दिया. नेताओं की एक न सुनी और दंगाइयों पर गोलियां चलाने में भी संकोच नहीं किया. वो सुनील सिंह ही थे जिन्होंने साफ कहा कि एक खास जगह पहुंच कर तिरंगा यात्रा में शामिल लोगों ने लोगों को भड़काया, कार्रवाई की और नारे लगाए. सुनील सिंह ने ये सब सरकारी रिकॉर्ड में रिपोर्ट किया है. जाहिर सी बात है कि अब इस रिकॉर्ड को बदला नहीं जा सकता इसलिए रिकॉर्ड लिखने वाले को ही बदल दिया.
सुनील सिंह को सिर्फ कासगंज से हटाया ही नहीं गया बल्कि सरकार इतनी डरी हुई थी कि उन्हें तत्काल प्रभाव से स्टेशन छोड़ने को कह दिया गया. आप कल्पना कर सकते हैं कि वो कौन सी वजह रही होगी जिसके कारण ऐसा फैसला लिया गया. सुनील सिंह ने अपनी तरफ से जान लगा दी, लेकिन न तो आग भड़कने दी और न ही एक भी और शख्स की जान जाने दी. यहां तक कि कुछ शरारती तत्वों ने राहुल उपाध्याय नाम के शख्स के गायब होने की अफवाह फैलाई. बार बार ये बताने की कोशिश की कि राहुल उपाध्याय दंगे में मारा गया है, ताकि राहुल उपाध्याय के धर्म के लोगों को भड़काया जा सके. सोशल मीडिया पर ये खबरें खूब उछाली गईं. सुनील सिंह ने अफवाहों पर रोक तो लगाई ही राहुल उपाध्याय को ढूंढकर पेश कर दिया. ये सब हरकतें सुनील सिंह को कुछ ताकतवर लोगों की आंख की किरकिरी बना गईं.
आशुतोष कुमार श्रीवास्तव की रिपोर्ट