पटना (निखिल के डी वर्मा) । शुक्रवार को गणतंत्र दिवस के अवसर पर जेडीयू के प्रदेश कार्यालय में झंडोत्तोलन में बहुत बड़ी चूक हो गई, हालांकि इसे तुरंत संभाल लिया गया.
ऐसा हुआ कि गणतंत्र दिवस के दिन सबों की उपस्थिति में प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने झंडा फहराया. राष्ट्रीय गान भी शुरू हो चुका था.
तभी किसी ने कहा कि झंडा उल्टा फहरा दिया गया है. आनन् फानन में झंडे को उतारा गया. उतारने में भी चूक हुई क्योंकि झंडा जमीन छू रहा था. किसी की नजर भी इस पर नहीं गई. इधर राष्ट्रीय गान भी गाया जा रहा था. खैर, झंडे
को वापस सीधा कर वहां उपस्थित कुछ लोगों द्वारा फहरा दिया गया. इस समारोह में एमएलसी रणवीर नंदन, ओम प्रकाश सिंह ‘सेतु’ के अलावा पार्टी के अन्य नेतागण व कार्यकर्त्ता उपस्थित थे.
इस मामले ने अब तूल पकड़ लिया है.
मणिभूषण प्रसाद सेंगर, अधिवक्ता, पटना उच्च न्यायालय ने इस मामले में कहा कि प्रिवेंसन ऑफ़ इन्सल्ट टू नेशनल हॉनर (अमेंडमेंट) एक्ट, 2005 के तहत, भारतीय तिरंगे के शीर्ष पर केसरिया, मध्य में सफेद और सबसे नीचे हरा रंग होना चाहिए. उनके अनुसार जेडीयू के कार्यालय में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया क्योंकि उन्होंने उल्टा ध्वज फहराया. बिहार में सत्तारूढ़ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने बिहार सरकार में पिछले दो वर्षों से राष्ट्रीय झंडा फहराया है. वे एक वरिष्ठ नेता व राजनीतिज्ञ हैं. उन्हें हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रंग, रचना और सम्मान से अवगत होना चाहिए. इतना ही नहीं, राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने के बाद भी उन्होंने माफी नहीं मांगी.
अधिनियम के प्रावधानों के तहत, इस तरह के अपराध के लिए 3 साल तक की जेल की सजा हो सकती है.
मणिभूषण के अनुसार हालांकि उल्टे झंडे को देखकर इसे उतारकर सीधा किया गया पर वह भी गलत ढंग से. अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, राष्ट्रीय ध्वज को जमीन को छूने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए लेकिन जेडीयू कार्यालय कार्यक्रम का वीडियो दिखाता है कि झंडा जमीन पर उतारा गया, राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया गया और राष्ट्रगान का भी अपमान किया गया. यह पूरी तरह शर्मनाक है.
मणिभूषण के अनुसार, वे हाई कोर्ट में इस सन्दर्भ में एक “जनहित याचिका’ दायर करेंगे.
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