पटना । बहुचर्चित इंटर टॉपर घोटाला 2016 में बुधवार को 31 अभियुक्तों पर आरोप तय कर दिए गए. बाकी 10 अभियुक्तों पर, जो आज न्यायालय में उपस्थित नहीं थे, आरोप अगली तारीख पर तय किये जायेंगे.
बिहार स्कूल परीक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष ललकेश्वर प्रसाद सिंह और उनके विधायक पत्नी उषा सिन्हा के बीच 2016 की इंटरमीडिएट टॉपर घोटाले की सुनवाई बुधवार को विशेष सतर्कता अदालत में आरोपों के साथ शुरू हुई.
विशेष सतर्कता जज -1 मधुकर कुमार ने उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के मामले में 41 अभियुक्तों में से 31 को पढ़ कर सुनाया. अदालत में मौजूद अभियुक्त, हालांकि, ने आरोपों से इनकार किया और अदालत को बताया कि उन्हें मामले में झूठ का फंसाया जा रहा है.
विजिलेंस के जूनियर सरकारी अभियोजक आनंदी सिंह ने कहा कि 31 अभियुक्तों को प्रासंगिक दस्तावेज प्रदान किए गए, जो बुधवार को अदालत में मौजूद थे. शेष अभियुक्त के आरोपों की सुनवाई अगली तारीख पर की जाएगी, उन्होंने कहा.
सुनवाई की अगली तारीख अदालत ने 7 फरवरी को तय किया है. शेष सभी अभियुक्तों को अदालत में उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए हैं. उनमें से चार परीक्षार्थी थे, जिनके परिणाम परीक्षा बोर्ड ने रद्द कर दिए थे.
आनंदी ने कहा कि 41 अभियुक्तों में से 22, सरकारी कर्मचारी हैं, जो वर्तमान में जमानत पर हैं. 5 सितंबर, 2017 को पटना पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) ने अदालत में आरोपपत्र दायर किया था, एफआईआर (FIR) पटना में कोतवाली पुलिस थाने के साथ दर्ज कराई जाने के करीब 88 दिन बाद. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार की अगुआई में एसआईटी को इस मामले की जांच के लिए सौंपा गया था.
बिहार स्कूल परीक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष ललकेश्वर प्रसाद सिंह, सचिव हरिहर नाथ झा, वीआर कॉलेज के निदेशक बाखरा राय उर्फ अमित कुमार, राजेंद्र बालक हाई स्कूल के प्रमुख विशेश्वर प्रसाद और गणित शिक्षक संजीव कुमार सुमन अभी तक जेल में है. पटना उच्च न्यायालय ने इस सबकी जमानत याचिकाओं को पहले ही खारिज कर दिया है.
आज बिहार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह, उनकी पत्नी उषा सिन्हा, घोटाले के मास्टरमाइंड बच्चा राय, बोर्ड के दो पूर्व सचिव हरिहरनाथ झा व श्रीनिवास चंद्र तिवारी समेत 31 आरोपियों पर आरोप तय किये गए.
(ब्यूरो रिपोर्ट)