सरस मेला 2017 में ग्रामीण शिल्प व उत्पाद के साथ स्वाद और संस्कृति का दीदार

By Nikhil Dec 13, 2017 #JEEVIKA #SARAS MELA 2017

जीविका, ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा 12 दिसंबर से 26 दिसंबर तक गाँधी मैदान में आयोजित सरस मेला का आरम्भ हो चुका है। ग्रामीण हुनर एवं उत्पाद को प्रोत्साहित करने के उदेश्य से जीविका द्वारा आयोजित सरस मेला का आयोजन किया जाता है l इस मेले में ग्रामीण शिल्प और उत्पाद के साथ स्वाद और संस्कृति का दीदार होने लगा है l

देशभर के 17 राज्यों के 161 महिला स्वयं सहायता समूहों के स्टॉल एवं इन्ही राज्यों से 150 स्वरोजगारियों के स्टॉल , बिहार के 36 जिलों से आई जीविका दीदियों के122 स्टॉल एवं अन्य शिल्पकारों द्वारा निर्मित उत्पाद एवं कलाकृतियो की प्रदर्शनी और बिक्री जारी है l इसके साथ ही बैंक के 12 और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के 22 स्टॉल के माध्यम से सरकार की अनेक योजनाओं से लोगों को जागरूक किया जा रहा है l राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और राष्ट्रिय ग्रामीण आजीविका मिशन के 20 राज्य संयोजक भी सरस मेला में शिरकत किये हुए हैं l
आज मेले के दूसरे दिन मुख्य मंच से लेकर मेला परिसर के नुक्कड़ पर भी कई कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया l हज्जू म्यूजिकल थियेटर के द्वारा स्वच्छ रहे स्वस्थ रहें नुक्कड़ नाटक की प्रस्तिती की गई जिसके माध्यम से स्वच्छता का नारा बुलंद किया गया l इसके अलावा सक्षम, समाज कल्याण विभाग के शांति कुटीर के द्वारा हौसलों की उड़ान नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति की गई l इस नाटक की खास बात यह है कि इसके पात्र कल तक पटना स्टेशन समेत अन्य स्थानों पर भिक्षाटन करते थे l लेकिन अब वो मुख्य मंत्री भिक्षावृति निवारण योजना के तहत स्वरोजगार से जुड़कर स्वावलंबी हो रहे हैं l इस बात को ही नाटक में द्दर्शाया गया l
मुख्य मंच पर मध्य बिहार ग्रामीण बैंक के तत्वाधान में जादूगर बी. के.सम्राट ने बैंक के द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं को लेकर जागरूक किया l मुख्य मंच पर दूसरी प्रस्तुति के तहत ग्लोबल इंटरफेस वाश एलायंस के द्वारा स्वछता को लेकर पपेट शो का आयोजन किया गया l
शाम को आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत साकार कलाकृति के द्वारा लोक गीत और भजन की प्रस्तुति की गई l इस कार्यं में गोविन्द बल्लभ , सत्य प्रकाश एवं गुड़िया गिरी ने अपनी प्रस्तुति दी l
इसके अलावा ओपन एरिया में जीविका दीदियों द्वारा विभिन्न उत्पादों के निर्माण प्रक्रिया का जीवंत प्रदर्शन जारी रहा l बच्चों के लिए पालना घर एवं फन जोंन आकर्षण के केंद्र बने हुए हैं l दिल ढूंढता है फिर वही फुरसत के रात दिन – भूपेंद्र सिंह के द्वारा गाई गई यह गजल अनायास ही सरस मेला में चरितार्थ हो रही है l जाड़े की नर्म धूप या फिर शाम की दूधिया रोशनी में सरस मेला की रौनक देखते ही बन रही है l




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