‘परोपकार सबसे बड़ा धर्म’

भागवत कथा मानव जीवन का संस्कार: जीयर स्वामी

संत श्री जियर स्वामी जी महाराज ने कहा कि भागवत कथा मानव जीवन का संस्कार है. इसे सुनने से प्रभु की भक्ति प्राप्त होती है तथा भक्ति योग द्वारा जीवात्मा को मोक्ष प्राप्त होता है . वे भोजपुर के कोइलवर में स्थानीय हनुमंत धाम के पास सोन नदी के अविरल धारा के बीच अकूत बालू के रेत पर जारी भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें और अंतिम दिन शनिवार को अपने प्रवचन में बोल रहे थे . उन्होंने कहा कि मानव जीवन में भक्ति योग व कर्म योग का विशेष महत्व होता है . मनुष्य को सदैव ईश्वर के स्वरूप का ध्यान करते रहना चाहिए . भगवान विष्णु का ध्यान करने से मन पवित्र हो जाता है .





श्री जियर स्वामी जी ने वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर प्रहार करते कहा कि आज स्कूलों में जो शिक्षा प्रदान की जा रही है, वह असल में कमाऊ शिक्षा व्यवस्था है . यह हमारे व हमारे देश का दुर्भाग्य है कि स्कूलों में ग का अर्थ गदहा तो पढ़ाया जाता है लेकिन जब बालकों को ग से गणेश या गोविन्द पढ़ाया जाता है तो उसे साम्प्रदायिक कहा जाता है . श्री लक्ष्मी प्रपन्न जियर स्वामी जी ने कहा कि जिस व्यक्ति को राग-द्वेष से मुक्ति पाकर आनंद प्राप्त करना है, उसे महापुरुषों के सानिध्य में आना ही होगा . एक संत महापुरुष की वाणी में इतनी शक्ति होती है कि उसे सुन कर कोई भी अपना कल्याण कर सकता . उन्होंने कहा कि मोह माया से भी ऊपर उठना होगा . जो व्यक्ति मोह माया में फंस जाता है उसे कभी भी परमात्मा की प्राप्ति नहीं हो सकती . अतः गृहस्त जीवन में रह कर भी भावपूर्ण भक्ति करें . स्वामी जी ने कहा कि अठारहों पुराणों का रहस्य है कि परोपकार सबसे बड़ा धर्म है . उन्होंने कहा कि भागवत कथा सुनने वाला व्यक्ति गलत मार्ग छोड़ देता है और वह स्वत: धर्म के मार्ग पर अग्रसर हो जाता है .

स्वामी जी ने श्रीमद भागवत कथा पुराण पर विस्तृत ब्याख्या करते हुए घर के महिलाएं व पुरुष को कहा कि प्रत्येक दिन श्रीमद भागवत कथा पुराण कम से कम आधा घण्टा रोज पढ़े . आप के जीवन में कुछ अच्छा होगा .
कथा समापन के बाद आयोजन समिति द्वारा प्रसाद वितरण में बड़ी संख्या में श्रद्धालु नर-नारियों ने हिस्सा लिया तथा लक्ष्मी प्रपन्न श्री जीयर स्वामी जी का अश्रुपूर्ण आंखों से दुबारा पुनः कोइलवर में आगमन के विनती के साथ विदाई किया .

 

कोइलवर से आमोद कुमार

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