आरा के महाराज कॉलेज में मंगलवार को छात्रों के सकारात्मक आंदोलन से एक बड़ा मामला आसानी से सुलझ गया. दरअसल महाराजा कॉलेज मनमाने रूप से नामांकन और डिजिटल आई कार्ड के नाम पर बगैर पूर्व सूचना के पैसे वसूल रहा था. इसके खिलाफ छात्रों ने महाराजा कॉलेज पर कार्यरत सारे काउंटर बन्द करा दिये.
छात्रों के इस कार्य के दौरान पहले तो नारे लगे और जैसे ही महाराजा कॉलेज आरा में अपने कक्ष में जाने के लिए प्राचार्य नरेन्द्र कुमार आगे बढ़े तो उन्हें छात्रों के विरोध का सामना करना पड़ा और उन्हें छात्रों की बात को सुनने के लिए लगभग 30 मिनट तक धूप में खड़ा रहना पड़ा. यह विरोध किसी खास संगठन या पार्टी का नही था बल्कि छात्रों का था. इस दौरान इन छात्रों के साथ कॉलेज कैंपस में उपस्थित विभिन्न पार्टियों के छात्र नेताओं ने भी छात्रों की समस्याओं के लिए उनका साथ दिया.
बताते चलें कि छात्रों का यह विरोध इंटरमीडिएट नामांकन में कई गई शुल्क वृद्धि, डिजिटल परिचय पत्र के नाम पर छात्रों से अतिरिक्त शुल्क वसूलने, कॉलेज के सुरक्षा प्रहरी के टेंडर खत्म होने के बाद भी कार्य करने तथा नामांकन कंप्यूटराइज रसीद बाहरी लोगों द्वारा काटने, कॉलेज में शैक्षणिक माहौल को सुदृढ़ करने, कॉलेज में वोकेशनल के छात्रों का प्लेसमेंट करने सहित तमाम माँगों को लेकर था.
बिना नोटिस निकाले कॉलेज ने वसूला अधिक शुल्क
छात्रों का आरोप है कि कॉलेज प्रशासन ने उक्त कार्यों के लिए ना तो कोई नोटिस निकाला है और ना ही अखबार या पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से कोई सूचना अब तक प्रकाशित की है. छात्रों का कहना है कि इंटरमीडिएट में 2016-2018 में जो नामांकन शुल्क पिछले साल 112 रुपये लिया जा रहा था, नए प्राचार्य के आने के बाद बगैर सूचना के 489रू कर दिया गया और अब तक सूचना पट्ट पर भी इस सूचना को नहीं साझा किया गया. इसी तरह डिजिटल आई कार्ड के नाम पर 100 रुपया अतिरिक्त शुल्क वसूला जा रहा है जिसकी सूचना अब तक सूचना पट्ट पर नहीं है.
इस दौरान छात्रों के साथ खड़े रहे छात्र नेताओं ने छात्र-छात्राओं से लिए गए विभिन्न मदों में लिए गए शुल्क को महाविद्यालय के सूचना पट्ट पर साझा करने का समर्थन किया. छात्रों की समस्याओं को सुनते हुए एक मजेदार वाक्या तब हुआ जब प्राचार्य ने कहा- rome was not built in a day यानि रातों-रात कुछ नही होता है, उसके लिए समय लगता है. इतना सुनते ही वहां मौजूद NSUI के छात्र नेता अभिषेक द्विवेदी ने कहा कि जब पूरे देश मे रातों रात नोटबन्दी लागू हो सकती है तो एक कॉलेज में छात्र हितों से जुड़े कार्य में सुधार क्यों नही हो सकता? इतना सुनते ही प्राचार्य सकते में आ गए और छात्रों को आश्वस्त किया कि सभी समस्याओं का निदान जब तक नहीं होता तब तक वे अपने आप को एक सफल प्राचार्य नहीं मानेंगे. इंपैक्ट यह रहा कि उन्होंने एक घंटे के अंदर ही शुल्क वृद्धि से संबंधित सूचना को नोटिस बोर्ड पर लगवा दिया.
आरा से ओपी पांडे