पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने के सवाल पर सीएम नीतीश ने कहा कि हमलोगों को यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि सरकार के रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा इससे प्राप्त होता है जो कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च होता है, जहां तक पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के तहत लाने का प्रश्न है वो केंद्र सरकार और जीएटसी काउंसिल को तय करना है. सीएम की बातों से ये भी साफ हो गया कि वे राज्य सरकार को पेट्रो प्रोडक्ट्स से मिलने वाले वैट के कारण भी इसमें कोई परिवर्तन नहीं चाहते.
बता दें कि पेट्रोल-डीजल फिलहाल GST के दायरे से बाहर हैं. इसकी मुख्य वजह सरकार को होने वाली मोटी कमाई है. पेट्रोल-डीजल की कीमत में एक्साइज ड्यूटी, डीलर कमीशन से लेकर राज्यों का वैट तक शामिल है जिसके कारण इनकी प्रति लीटर कीमत लोगों की जेब पर भारी पड़ रही है.