अंग्रेजों के जमाने का अब्दुल बारी पुल खतरनाक और अलार्मिंग हालत में है. पूर्वी भारत को पश्चिमी भारत से रेल और सड़क मार्ग से जोड़ने वाला ये कोईलवर पुल के नाम से मशहूर है. पटना और आरा के बीच स्थित सोन नदी पर बने इस पुल के सड़क मार्ग व रेल मार्ग के रख-रखाव पर सरकार का ध्यान हमेशा रहता है पर पुल की नींव पर न सरकार की दृष्टि है और ना ही अपने धरोहर को बचाने की चिन्ता . जिला प्रशासन की सजगता व सर्तकता के कारण पुल के इर्द-गिर्द बालू उत्खनन व उद्धवहन नहीं होने के कारण पुल कि स्थिति कुछ अच्छी है वरना किसी दिन सोन के तीव्र जल आवेग में पुल का ही नामों निशान मिट जाता.
आप देख सकते हैं इन तस्वीरों के जरिए कि पुल के पिलरों की स्थिति जीर्ण-शीर्ण होती जा रही है . समय रहते सरकार ने अगर इस पर ध्यान नहीं दिया तो कोईलवर अब्दुल बारी पुल धरोहर की जगह स्मृति शेष हो जाएगा . एक ओर जहाँ यह पुल दानापुर-मुगल सराय रेल खंड को जोड़ता है तो दूसरी ओर पटना-भोजपुर सड़क यातायात को जोड़ता है .
बतातें चलें कि कोलकाता से पटना होते हुए दिल्ली के लिए कई ट्रेनें इस पुल से प्रतिदिन गुजरती है तो कई सवारी गाड़ियां भी गुजरती हैं जबकि पुल के सड़क मार्ग से प्रतिदिन हजारों वाहन गुजरते हैं. पुल की समुचित देख-रेख की व्यवस्था चाहे केन्द्र सरकार की हो, चाहे राज्य सरकार की हो ,चाहे पुल निर्माण निगम की हो या जनमानस की हो जिम्मेवारी तो है और इसका निर्वहण किसी भी स्थिति में होना चाहिए ताकि भविष्य में आने वाले दुष्परिणाम से बचा जा सके एवं धरोहर को विरासत बना कर रखा जा सके .
कोइलवर से आमोद कुमार.