भारत में आज से एक साथ तीन तलाक खत्म हो गया है. 5 जजों की बेंच ने 3-2 के बहुमत से इसे असंवैधानिक और मनमाना करार दिया है. भारतीय मुस्लिम महिलाओं के लिए इसे बड़ा फैसला माना जा रहा है. जस्टिस नरीमन, जस्टिस कूरियन और जस्टिस रोहिंग्टन ने इसे असंवैधानिक माना जबकि चीफ जस्टिस खेहर और जस्टिस नज़ीर ने इसे असंवैधानिक नहीं माना.
लेकिन 5 में से तीन जजों का बहुमत होने के कारण इसे असंवैधानिक करार दिया गया है. एक साथ तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक मानते हुए तीन तलाक एक साथ बोलने पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर केन्द्र सरकार को 6 महीने के अंदर कानून बनाने को कहा है.
बता दें कि पाकिस्तान और बांग्लादेश समेत दुनिया के 20 से ज्यादा देशों में तीन तलाक की प्रथा पर वर्षों पहले ही पाबंदी लगाई जा चुकी है. सु्प्रीम कोर्ट ने इस मामले में गेंद केन्द्र सरकार के पाले में डाल दी है. और संसद से इस मामले में नया कानून लाने को कहा है. बता दें कि 1937 के शरीयत एक्ट के मुताबिक तीन तलाक का सिस्टम चल रहा था.
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने तीन तलाक पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है. इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे मुस्लिम महिलाओं को समानता का अधिकार मिलता है और यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रभावशाली उपाय है.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘तीन तलाक पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय का फैसला ऐतिहासिक है. इससे मुस्लिम महिलाओं को समानता का अधिकार मिलता है और यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रभावशाली उपाय है’.
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