आजादी के 6 दशक बाद भी एक पुल के लिए तरस रहे यहां लोग

देश में विकास और प्रगति के बयार की कहानी हर रोज सुनने को मिल रही है. लेकिन आज भी बिहार में ऐसे बहुत से गाँव हैं जो संपर्क पथ की बाट जोह रहे हैं. भोजपुर जिले का एक ऐसा ही गाँव है “तीनघरवा टोला”, जो आजादी के 6 दशक बाद भी एक पुलिया के कारण मुख्य मार्ग से कटा हुआ है. गड़हनी की नींव रखने वाले इस टोले में पुल की नींव रखने वाला कोई नहीं है. पटना नाउ की इस टोले से विशेष रिपोर्ट.




आरा मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर अवस्थित है गड़हनी. गड़हनी प्रखंड के गड़हनी पंचायत के वार्ड नम्बर एक के अंतर्गत आता है यह टोला- “तीनघरवा”. गड़हनी से सटे होने के बावजूद भी यहाँ पहुचने के लिए कोई रास्ता नही है. यहाँ जाने के लिए दो रास्ते हैं एक रास्ते से होकर जाने पर नदी का सामना करना पड़ता है जहाँ पुल नही है. गर्मियों में तो घुटने भर पानी में लोग आते जाते हैं लेकिन बरसात और उसके बाद के कुछ महीने आफत होते हैं नदी में पानी के बढ़ जाने से. दूसरा रास्ता गड़हनी गाँव से होते हुए उत्तरपट्टी तक आसानी से जाया जा सकता है जहाँ तक पी सी सी एवम इट सोलिंग है लेकिन जैसे ही आगे बढ़ते है एक बरसाती नदी अपना फन फैलाये सामने दिखाई देती है. वैसे तो गर्मी के दिनों में यह सुखी हुई होती है लेकिन जैसे ही बरसात का पानी इसमें आता है यह खतरों से लबरेज हो जाती है.


गाँव मे आज तक किसी जनप्रतिनिधि ने ध्यान नहीं दिया चाहे वह वार्ड सदस्य हो या मुखिया. गाँव मे आज तक न नाली का निर्माण हुआ है न ही इट सोलिंग या पी सी सी. गड़हनी प्रखंड के मुखिया तसलीम आरिफ ने चुनाव से पूर्व वादा किया था कि जीतने के बाद “तीनघरवा टोला” को गड़हनी तक मनरेगा के तहत मिट्टी भराई कराकर जोड़ने का काम करेंगे और जीतने के बाद कार्य भी शुरू हो गया था जिसे देख ग्रमीणों में आशा की किरण जग गयी थी लेकिन वह भी अब दब कर रही गयी जब मुखिया तसलीम आरिफ उर्फ गुड्डू मियां को गाँजे की तस्करी मामले में औरंगाबाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.

आजादी के लड़ाई में गाँव की थी अहम भूमिका

तीन तरफ नदी से घिरा यह गाँव बरसात में टापू तो बन ही जाता है जहाँ कोई आसानी से नही पहुँच सकता ठीक उसी तरह गर्मी के दिनों में रास्ते के आभाव में कोई गाड़ी से यहाँ नही जा सकता इसका सदुपयोग यहाँ के ग्रमीण आजादी के दिनों में करते थे. आजादी के लड़ाई में गड़हनी प्रखंड सहित कई अन्य प्रखंड के स्वतंत्रता सेनानी अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए गाँव-गाँव जाकर लोगों जगाने का काम करते थे और जब अंग्रेज जब उन्हें ढूंढते तो वो गड़हनी के तीन घरवा टोला छुप जाते जहाँ अग्रेंज पहुँच नही पाते थे. यहाँ के ग्रामीण सड़क और पुल निर्माण के लिए स्थानीय जिला परिषद, विधायक,सांसद और प्रखंड विकास पदाधिकारी से गुहार लगा चुके है लेकिन अभी तक न सड़क बना न पुलिया.

ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से दो दशक पूर्व किया था पुलिया का आधा-अधूरा निर्माण

दो दशक पूर्व यहाँ के ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से यहाँ पुलिया निर्माण करने पर पहल की थी.जिसका जीता जागता उदाहरण तस्वीरों में स्पष्ट दिख रहा है.तीन मोटे-मोटे इट के खंभे बनाये गए है जिसपर जोगाड़ टेक्नोलॉजी के तहत बिजली का खम्बा रख ग्रामीण जान पर जोखिम डाल कर पार करते हैं. हालांकि ग्रामीणों का मन पुलिया ढलाई का था लेकिन अर्थ के अभाव में काम रुका तो आज तक रुका रह गया. इसी रास्ते के सहारे तीन घरवा टोला,सिहार-बरघारा,हदियाबाद सहित कई गाँवों के लोग गड़हनी बाजार तक आते है हालांकि तीन घरवा टोला को छोड़कर सभी गांव दूसरे रास्ते से गड़हनी तक पहुँच सकते है. ये अलग बात है कि उन्हें इसके लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है.

गड़हनी तीनघरवा टोला की आबादी तकरीबन तीन सौ होगी,जहाँ दो दर्जन से ज्यादा छात्र-छात्रा को पढ़ने के लिए इसी रास्ते मुख्य बाजार गड़हनी तक आना पड़ता है. यहाँ सौ से ज्यादा मतदाता है जो हर साल अपने मत का प्रयोग इसी उमीद के साथ करते हैं कि जनप्रतिनिधि और सरकार यहाँ रोड और पुलिया का निर्माण करेगी लेकिन हर बार उनके उमीद पर पानी फिर जाता है.

स्थानीय विधायक से लगी हैं उमीदें
अगिआंव विधानसभा के विद्यायक प्रभुनाथ राम से यहाँ के ग्रामीणों को काफी उमीदें हैं उन्हें विश्वास है कि विद्यायक का गाँव भी यहाँ से महज दो-तीन किलोमीटर दूर है तो पडोसी होने के कारण वो यहां की समस्याओं से वाकिफ है ऐसे में सड़क और पुलिया का निर्माण वो कराएंगे. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि लोगों के इस विश्वास पर विधायक पुल और सड़क बनवा पाते है या पूर्व विधायको की तरह वोट लेकर सिर्फ अपना उल्लू सीधा करते हैं.

आरा से ओपी पांडे

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