“हरी हरी सावन मास सुहावन, लगे मन भावन”

साहित्य सम्मेलन में महिला साहित्यकारों ने मनाया सावन मिलन समारोह

शनिवार को पटना स्थित बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन महिलाओं की कजरी और श्रावणीगीतों की मूसलाधारवर्षा में भीगता रहा. महिला-साहित्यकार प्रकोष्ठ की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में मंच पर भी महिलाओं का आधिपत्य था और उन्होंने सिद्ध किया किअवसर मिले तो वो भी किसी से कम नहीं. सुप्रतिष्ठ कवयित्री और हिंदी प्रगति समिति की उपाध्यक्ष डॉ शांति जैन की अध्यक्षता में आयोजित सावन मिलन समारोह और महिला गीतगोष्ठी वाक़ई देखने सुनने लायक थी.




हरे रंग की साड़ियों में सजी कवयित्रियों ने एक से बढ़ाकर एक सावनगीत सुनाकर पावस के सौंदर्य और रस की दिव्यछटा को भूमि पर उतार दिया। गीतगोष्ठी का आरंभ अंजुला कुमारी के इस गीत रिमझिम के बरसेला पनियाँ भीजत आए धनिया हे रामा” से हुआ। कवयित्री आराधना प्रसाद ने  कहा– “चाँद से मिल रही चाँदनी प्यार मेंमिल रहे दो यहाँ अजनबी प्यार मेंअबकि सावाँ साजन ऐसी लागी लगन“.

कवयित्री अनुपमा नाथ का कहना हुआ की सावन देखो फिर से आया हैपर मेरे मन का मोर क्यों मुरझाया है। डा लक्ष्मी सिंह ने सुनाया– “हरीहरी सावन मास सोहावनलगे मन भावन ए हरी। डा सरोज तिवारी ने पावस का चित्र इस प्रकार खींचा किचमके बिज़ूरिया बरसे बंदरिया विरहन लागे कारी रात रे। मुमताज़ राणा ने कहा की, “ साजन मेरे तुम न आए,बीत गई कितनी बरसाती। डा भावना शेखर ने अंबार से धरती का एक ख़ूबसूर चित्र यों खींचा कि ” महलों से लेकर बस्ती तकअंबार से लेकर धरती तक सावन का रूप निराला है.

कवयित्री कल्याणी कुसुम सिंहमहिला साहित्यकार प्रकोष्ठ की संयोजिका शालिनी पाण्डेयडा सुमेधा पाठकपुष्पा जमुआरलता परासरकुमारी मेनकामंजू कुमारीनम्रता कुमारीडा अनुपमा नाथपूनम आनंदडा लक्ष्मी सिंहडा आरती पूजा रितुराजनंदिनी कुमारीअंजुला कुमारी ने भी सावनगीतों का सस्वर पाठ किया।

गीतगोष्ठी का संचालन कवयित्री सरोज तिवारी ने तथा धन्यवादज्ञापन सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा ने किया।

इसके पूर्व सम्मेलन मेंस्तुत्य हिंदी प्रचारक और सम्मेलन के पूर्व अध्यक्ष बाबू गंगा शरण सिंह को उनकी जयंती के अवसर पर श्र्द्धापूर्वक नमन किया गया। इस अवसर पर अपने उद्गार में सम्मेलन अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ ने कहा किभले ही गंगा बाबू ने लेखनी से हिंदी की सेवा न की होकिंतुसंपूर्ण भारतवर्ष में घूमघूम कर उन्होंने जिस प्रकार हिंदी की अलख जगाईवह सेवा हिंदी के किसी भी बड़े साहित्यकार की हिंदीसेवा से बड़ी मानी जाएगी.

साम्मेलन के साहित्य मंत्री डा शिववंश पांडेय ने गंगा बाबू के व्यक्तित्व और हिंदीसेवा के उनके कार्यों पर विस्तार से चर्चा की तथा उन्हें अत्यंत मूल्यवान हिंदी सेवी और स्वतंत्रता सेनानी बताया। जयंतीसत्र का संचालन कवि योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने किया। इस अवसर पर कवि रवि घोषराज कुमार प्रेमीपुजारीकृष्णरंजन सिंह समेत बड़ी संख्या में साहित्यसेवी व प्रबुद्धजन उपस्थित थे.

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