फिर क्यों आया गजराज को गुस्सा!

रेस्क्यू टीम की सलाह नहीं मानना पड़ा भारी

बाल-बाल बचा महावत मुन्नू




NH84 पर एक बार फिर हुआ आवागमन ठप

NH84 पर बुधवार को एक बार फिर लोगों की भीड़ थी. वजह भी वही थी. सनकी हाथी का गुस्सा. कुछ दिन पहले ही अपने महावत की जान ले चुके हाथी ने आज अपने दूसरे महावत की जान लेने की कोशिश की. संयोग अच्छा था कि इस बार महावत की जान बच गई. लेकिन इसके बाद हाथी का गुस्सा वहां से गुजर रहे यात्री वाहनों पर निकलने लगा. NH 84 से गुजर रहे कई वाहनों को गजराज ने धक्का देना शुरू कर दिया. हालांकि संयोग अच्छा था कि वाहन चालक गजराज के गुस्से का शिकार होने से बच गए. लेकिन इस दौरान अफरातफरी मच गई. किसी तरह पुलिस को सूचना दी गयी. घटना स्थल पर पुलिस पहुंची, लेकिन सनके गजराज को काबू में करना किसी के वश की बात नहीं लग रही थी. हाथी काफी समय तक एनएच किनारे के पेड़ों को अपना शिकार बनाता रहा. सनके हाथी के इस उत्पात से आसपास के इलाके में दहशत कायम है. खेतों के रास्ते लोग आवाजाही कर रहे हैं.
कुचलकर महावत की ले ली थी जान
गजराज के गुस्से ने आठ रोज पहले एक महावत की जान ले ली थी. जुलूस में शामिल यह हाथी अचानक पागल हो गया. जिसके बाद वहां भगदड़ मच गई थी. घटना पिछले गुरुवार को हुई थी. जब मौनी बाबा की कांवर यात्रा बक्सर-आरा एनएच 84 पर प्रताप सागर गांव के पास से गुजर रहा था. पागल हाथी ने जुलूस में शामिल एक बच्चे को अपने सूढ़ में लपेटकर पटकना चाहा. लेकिन महावत ने उसे रोक लिया था. किसी तरह उक्त बच्चे को महावत ने बचा लिया. लेकिन खुद उसके गुस्से का शिकार हो गया. गजराज ने उसकी जान ले ली.


रेस्क्यू टीम की सलाह नहीं मानना पड़ा भारी
सनके हाथी को काबू में करने के लिए तीन थानों की पुलिस व जिले के अन्य हाथियों के महावतों को बुलाया गया था. लेकिन, तब भी हाथी का गुस्सा शांत नहीं हुआ था. बाद में पटना से आये वन विभाग के अधिकारियों ने हाथी को गन इंजेक्शन से बेहोश किया था. बेहोश होने के बाद उसे जंजीर से बांध दिया था. इसके बाद सख्त हिदायत दी थी कि कम से कम 15 दिन तक गजराज को छेड़ना नहीं है. वरना इसका गुस्सा बढ़ सकता है. लेकिन, ऐसा नहीं किया गया. आखिर किन परिस्थितियों में वन विभाग के एक्सपर्ट के आदेश की अवहेलना की गई. यह जांच के बाद पता चलेगा.
एक किलोमीटर जाते ही भड़का हाथी
गजराज के नए महावत मुन्नू पिछले एक सप्ताह से उसके साथ था. हाथी भी महावत से घुल मिल गया था. प्रताप सागर के पास पेड़ से बंधे उसकी हरकतें सामान्य होता देख बुधवार की सुबह मुन्नू उसे आरा ले जाने लगा. इसके लिए गजराज का जंजीर खोल दिया गया. लेकिन, एक किलोमीटर तक शांति से चलने वाले गजराज अचानक भड़क गया. गोपाल डेरा के पास पहुंचने से पहले वह गरजने लगा. तेज चिंघाड़ के साथ अपने पीठ पर सवार महावत मुन्नू को हिला कर गिराने लगा. गिरने के बाद मुन्नू ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई. बहरहाल हाथी अभी तांडव मचा रहा है.

 

बक्सर से ऋतुराज

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