भोजपुरी के लिए महाजुटान और महाचिन्तन
भोजपुरी के लिए महाधरना में एक हुए लोग
अलग पार्टियों में होने के बाद भी बैठे एक मंच पर
अबतक दिल्ली में कई बार जंतर-मंतर पर भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए आवाज उठाने वाली संस्था ‘भोजपुरी जन-जागरण अभियान’ ने अब प्रदेश में भी अपना विस्तार किया है. इसका उदाहरण गुरुवार को भोजपुरी के लिए महाधरना के रूप में आरा में देखने को मिला. जिला समाहरणालय के समक्ष लगभग सैकड़ों लोगों की जमात भोजपुरी के लिए उठी. लोगों की भीड़ की वजॆह से यातायात को सुचारू करने में यातयात पुलिस के पसीने छूटते रहे. भोजपुरी में फैले अश्लीलता को दूर करने, भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने और भोजपुरी की पढ़ाई सभी महाविद्यालयों में चालू करने की मांगों के साथ भोजजअ के प्रदेश अध्यक्ष कुमुद पटेल की अगुआई में यह महाधरना आयोजित किया गया.
कई पार्टियों के लोग आये एक मंच पर
भोजपुरी बचाओ अभियान के पिछले साल 5 सितंबर के भोजपुर बंदी के दौरान जिस तरह सभी दलों के लोगों ने एक साथ आकर भोजपुरी के लिए आवाज उठाई थी, ठीक उसी तरह इस महाधरना में भी भोजपुरिया लोगों ने दलगत भावना से परे होकर इसे समर्थन दिया और इस महाधरना में शामिल हुए. शामिल हुए लोगों में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हाजी नूर मदनी, सिने अभिनेता सत्यकाम आंनद, कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गुंजन पटेल, श्रीधर तिवारी, विनोद सिंह, ब्रह्मांड पार्टी के जितेंद्र कुमार (अधिवक्ता), जद यू के जमीनी और कदावर नेता भाई ब्रह्मेश्वर सिंह और नंदकिशोर यादव,मृत्युंजय भारद्वाज,अम्बा के राकेश राजपूत, सत्य प्रकाश सिंह, ओ पी पाण्डेय, और छात्र-राजद आलोक रंजन जैसे कई लोग शामिल थे.
मुख़्यमंत्री और दिल्ली सरकार को घेरने का एलान
कई पार्टियों के प्रतिष्ठित लोगों और शख्सियतों से सजे मंच से कई लोगों ने अपने अपने सुझाव दिए लेकिन सुप्रीम कोर्ट के वकील हाजी नूर मदनी ने जब अपनी बुलंद आवाज में भोजपुरी के लिए मर-मिटने की बात कही और भोजपुरी के लिए भाषा की पहचान के साथ एक पहनावे को पहचान बना मुख्यमंत्री आवास के घेराबंदी और प्रधानमंत्री आवास के घेराबंदी की बात कही तो सबने एक स्वर में स्वीकार किया.
हाजी नूर मदनी
patnanow से विशेष बातचीत में हाजी नूर मदनी ने कहा कि दुर्भाग्य और शर्म की बात है कि भोजपुरी को बंद करने वाले राज्यपाल को देश के राष्ट्रपति का चुनाव लड़ाया जा रहा है. भोजपुरी लोगों के साथ यह धोखा है और सभी को एक साथ एक लक्ष्य लेकर चलना चाहिए तभी भोजपुरी को सम्मान मिल पायेगा. उन्होंने सभी भोजपुरभाषी लोगों को घरों से निकल सड़क पर आने की अपील की और कहा कि अब घरों से तबतक बाहर आन्दोलन के लिए आएं जबतक कि इसे सरकार मान्यता नहीं दे देती. जितनी भोजपुरी भाषा बोलने वालों की संख्या है उसका 10 प्रतिशत भी सड़कों पर उतर जाए तो सरकार जो कान पर पर्दा डाले हुए है उसे झुकना पड़ेगा और भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करना पड़ेगा.
सत्यकाम आनंद
सिने अभिनेता सत्यकाम आनंद ने कहा कि 8वीं अनुसूची में भोजपुरी को शामिल करने से पहले चुनौती है इस भाषा की पढ़ाई को पुनः चालू कराना. वरना 9 माह पूर्व हुए विशाल आंदोलन के बाद भी भोजपुरी का अस्तित्व खत्म हो जायेगा. उन्होंने बताया कि भोजपुरी का अंतिम बैच अपनी पढ़ाई ख़त्म कर चुका है और पार्ट 3 के रिज़ल्ट आते ही अन्य भाषाओं में नामांकन के लिए तिथियां तय होंगी लेकिन भोजपुरी के लिए अब ऐसा कुछ नहीं होगा इसलिए विवि पर दबाव बना इसे चालू कराया जाए.
आरा से ओपी पांडे