फर्जी टॉपर पर लगाम लगाने की फुलप्रूफ तैयारी

By Amit Verma Jun 19, 2017

लगातार 2 वर्षों में फर्जी टॉपर की कहानी ने बिहार बोर्ड और बिहार शिक्षा व्यवस्था को जितना चूना लगाया है शायद उतना किसी और ने नहीं. पिछले साल के फर्जीवाड़े से सबक लेते हुए इस बार BSEB अध्यक्ष आनंद किशोर ने काफी जोर आजमाइश की थी. लेकिन पटरी से उतरी व्यवस्था और पूरे सिस्टम में लगे जंग ने एक बार फिर कबाड़ा कर दिया. बोर्ड की जमकर किरकिरी हुई. पिछली बार रूबी तो इस बार गणेश ने बिहार बोर्ड को आइना दिखा दिया.




लेकिन अब बिहार बोर्ड अपने पूरे सिस्टम को ही फुल प्रूफ बनाने में लग गया है. अत्याधुनिक व्यवस्था के तहत 1983 तक के इंटर के सर्टिफिकेट्स और 1985 तक के मैट्रिक के सर्टिफिकेट्स को ऑनलाइन किया जा रहा है. यानि अब क्लिक पर किसी भी परीक्षार्थी का मार्कशीट और सर्टिफिकेट स्क्रीन पर उपलब्ध हो जाएगा. इसके साथ ही ये पता चल जाएगा कि कौन परीक्षार्थी दोबारा परीक्षा देने की कोशिश कर रहा है. इसे Deduplication software नाम दिया गया है.

कहने का मतलब ये कि अगर कोई अपनी उम्र घटाने के लिए दोबारा परीक्षा देगा तो इस सॉफ्टवेयर की मदद से उसकी डिटेल्स को चेक करते हुए उसे पकड़ा जा सकेगा. फर्जीवाड़ा पकड़े जाने पर जब उस परीक्षार्थी का मैट्रिक का सर्टिफिकेट रद्द कर दिया जाएगा तो उसके आगे के सभी सर्टिफिकेट भी अमान्य हो जाएंगे.

बिहार बोर्ड पहले ही 12 वर्षों (2005-2016) के मैट्रिक एवं इंटर के परीक्षार्थियों के Mark sheet और Certificate को ऑनलाइन कर चुका है, जिसे समिति की नये वेबसाइट www.biharboard.org.in पर लाइव कर दिया गया है.

यही नहीं, BSEB इंटरमीडिएट के वर्ष 1983 से वर्ष 2004 तक के सभी परीक्षार्थियों के Mark sheet और Certificate को ऑनलाइन करने की कार्यवाई कर रहा है, जिसे लगभग 4 महीने में पूरा कर लेने का लक्ष्य समिति द्वारा रखा गया है. इस संबंध में समिति द्वारा एजेंसी का भी चयन कर लिया गया है, जो वर्ष 1983 से लेकर वर्ष 2004 तक के लगभग 84,48,136 परीक्षार्थियों के डाटा को ऑनलाइन करने के साथ-साथ प्रत्येक विद्यार्थी का एक अलग से TR Page बनाने का कार्य करेगी.
मैट्रिक के वर्ष 1985 से वर्ष 2004 तक के लगभग 1,22,63,455 परीक्षार्थियों के Mark sheet और Certificate को ऑनलाइन करने के लिए एजेंसी का चयन कर लिया गया है, जो इन सभी विद्यार्थियों का अलग से TR Page बनाते हुए अगले 4 महीने के अंदर इस कार्य को पूरा करेगी.

Deduplication software अगले 3 माह में तैयार कर लिया जायेगा. इस software के माध्यम से नाम में या पिता का नाम बदल कर या किसी अन्य प्रकार की विवरणी में परिवर्तन कर समिति द्वारा आयोजित मैट्रिक व इंटर की परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए रजिस्ट्रेशन करते समय ही पता चल जायेगा कि वह विद्यार्थी समिति द्वारा आयोजित पूर्व की परीक्षाओं में सम्मिलित हो चुका है या नहीं.  दोबारा परीक्षा में सम्मिलित होने वाले फर्जी विद्यार्थियों को चिन्हित् करते हुए उनके विरूद्ध समिति द्वारा कार्रवाई की जा सकेगी. ऐसे फर्जी परीक्षार्थियों को चिन्हित करके उनके मैट्रिक की परीक्षा के सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया जायेगा. अगर किसी परीक्षार्थी का मैट्रिक का सर्टिफिकेट रद्द हो जाता है तो उस व्यक्ति की आगे की डिग्रियाँ अमान्य हो जायेंगी- आनंद किशोर, अध्यक्ष, BSEB

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