सीसीडीसी डॉ. जमील अख्तर हैं मुख्य शकुनी- कुमुद पटेल
डॉ जमील पर कार्रवाई की मांग -छात्र समागम
ये वही शख्स हैं जिनकी अकर्मण्यता के कारण भोजपुर में भोजपुरी की पढ़ाई बंद हुई है. मिली जानकारी के अनुसार अप्रैल 2015 से विवि के सीसीडीसी का कार्यभार संभालने वाले डॉ. ज़मिल अख्तर कुछ दिनों के लिए कुलपति डॉ अजहर हुसैन के समय प्रभारी रजिस्ट्रार के पद पर काबिज हुए थे और इन्होंने ही भोजपुरी विभाग को अपने हाथों से बंद करने के लिए राजभवन कागज़ भेजा था. इस बात को पुख़्ता उन्होंने और कर दिया जब पहली ही मुलाकात में अपने निराले अंदाज के व्यंग्यात्मक मुस्कान में जब ये कहा-” भोजपुरी विभाग का बंद होना ही इसकी नियति थी और इसे होना ही था” एक अधिकारी जब ये जवाब दे तो कोई भी आश्चर्य में पड़ जाए. इन्होंने भोजपुरी विभाग के इतिहास को वैसे ही बयान किया जैसा कुलपति ने बताया. लेकिन जब कुछ कागजात जो 2013 या उससे पहले और 2015 को राजभवन से आय थे, माँगा तो उन्होंने कहा कि कागज अभिजीत रखता है हम तो बस इस सब चीजों की जानकारी रखते हैं। पूछने पर की अभिजीत कहाँ है, पता चला वो आज नहीं आया है। डॉ ज़मिल को विवि के 26 साल का इतिहास तो ऐसे पता है जैसे ये यहाँ 30 सालों से काम कर रहे हों लेकिन अपने डेढ़ साल के कार्यकाल के अंदर कोर्ट को दिए अपने पत्र और एफडेविट में इन्होंने क्या लिखा है भोजपुरी विभाग के लिए ,ये महोदय को नहीं पता है. कागज हमें तो नहीं दिखाया,इन्होंने बहाना कर गए बोले के कागज़ देखने के बाद मैं बता पाऊंगा कि मैंने क्या लिखा,राजभवन से आये 2015 के पत्र के आलोक इन्होंने कोर्ट से इसे डिसमिस करने के लिए बोल कर अपनी वाहवाही लूट ली.
छात्र समागम के विकेएसयू के अध्यक्ष एवं छात्र नेता कुमुद पटेल ने कहा कि 25 सालों से सरकार द्वारा मान्यता पर लटकती भोजपुरी विभाग को बंद कराने का मुख्य षड्यंत्री सीसीडीसी डॉ ज़मिल अख्तर है. भोजपुरी विभाग के लिये वो शकुनी है. महाभारत करवा के छोड़ेंगे. डेढ़ साल की उसकी अवधी में कुछ दिनों का रजिस्ट्रार का पद क्या मिला भोजपुरी को डिसमिस करने सम्बंधित एफडेविट कोर्ट को दे दिया. ऐसे लोगों की नौकरी ही निरस्त कर देनी चाहिए. कुमुद पटेल ने कहा कि अगर विश्वविद्याल इस सन्दर्भ में कोई कदम नहीं उठाएगी तो छात्र समागम जल्द ही आंदोलन करेगा.
छात्र समागम के विवि अध्यक्ष एवं छात्र नेता कुमुद पटेल
रिपोर्ट -आरा से ओम प्रकाश पाण्डेय