कैशलेस इकॉनोमी के प्रति आम जनों को जागरूक करने और उसके प्रति रुझान उत्पन्न करने के लिए मीडिया का रोल काफी अहम है. मीडिया की कैश लेस इकॉनोमी के बारे में सकारत्मक कवरेज और जागरूकता अभियान से बड़ा बदलाव आ सकता है. इससे समाज और देश को बड़ा आर्थिक लाभ प्राप्त होगा.
शुक्रवार को दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय(CUB) के सेंटर फॉर मास कम्युनिकेशन एंड मीडिया स्टडीज (सीएमएस) के द्वारा मीडिया एज ए मीडियम टूवार्ड्स कैश लेस इकॉनमीज शीर्षक पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के दौरान मुख्य अतिथि स्वांत रंजन ने कहा कि किसी भी अच्छे कार्य को करने में चार महत्वपूर्ण बातें होती हैं जो क्रमशः नीति, नियत, विद्या तथा व्यक्ति है. कैशलेस इकॉनोमी की सफलता भी इन्हीं चार बिंदुओं पर निर्भर करती है और इसको सफल बनाने में मीडिया एक सकारात्मक भूमिका निभा सकती है.
समारोह से कुलपति प्रोफेसर हरिश्चन्द्र सिंह राठौर ने अपने संबोधन में कहा कि अपने वर्षों के अध्ययन और अनुभव के आधार पर मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि मीडिया और शिक्षण व्यवसाय में काफी समानता है . या यह कहें कि दोनों समाज को अपने – अपने तरीके से महत्वपूर्ण जानकारियों से अवगत कराते हैं इसलिए पत्रकारों तथा शिक्षकों का यह दायित्व है कि वे अपनी जिम्मेवारी को बखूबी निभाएं. कैशलेस इकॉनोमी भी सरकार के द्वारा लिया गया एक बहुत बड़ा कदम है और मीडिया इसको सफल बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है और वैश्विक परिदृश्य में इसका लाभ देशवासियों को होगा .
रिपोर्ट- फुलवारी से अजीत