28 फरवरी को बैंकों की देशव्यापी हड़ताल
बिहार समेत देशभर की 70 हजार बैंक शाखाओं में ठप रहेगा कामकाज
हड़ताल में 10 लाख से ज्यादा कर्मचारी-अधिकारी होंगे शामिल
बिहार-झारखंड देश की समस्त बैंकों के संगठन युनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन ने कई मुद्दों और मांगों को लेकर 28 फरवरी को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है. युनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन्स(UFBU) के अनुसार, 28 फरवरी को बैंक कर्मचारी और अधिकारी पूर्ण हड़ताल पर रहेंगे और बैंकों के ताले भी नहीं खुलेंगे.
Bihar Provincial Bank Employees Association के सचिव संजय तिवारी ने बताया कि 28 फरवरी को बैंकों में देशव्यापी हड़ताल रहेगी. बिहार में भी करीब 72000 बैंक कर्मचारी/अधिकारी हड़ताल में शामिल होंगे. इस दौरान बिहार में बैंकों की 6775 शाखाएं और 6690 ATM भी बंद रहेंगे. सोमवार को हड़ताल की पूर्व संध्या पर RBI पटना के गेट पर United Forum of Bank Unions की तरफ से बैंककर्मियों ने प्रदर्शन किया. कल की हड़़ताल में सभी सरकारी और निजी बैंक और उनके ATM भी बंद रहेंगे.
विरोध के मुख्य बिन्दु-
- बैंकिंग सुधारों एवं कामगार विरोधी श्रम सुधार
- सरकार द्वारा ट्रेड यूनियन अधिकारों के उल्लंघन के प्रयास
- नियमित/स्थायी बैंकिंग कार्यो की आउटसोर्सिग
- बैंकों का विलयीकरण/ निजीकरण
बैंककर्मियों की मांगें :-
- नोटबंदी के दौरान कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा किए गए एक्स्ट्रा वर्क के उचित भुगतान की प्रतिपूर्ति की जाए
- ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 में ग्रेच्युटी राशि की सीमा को समाप्त कर सेवानिवृत्ति पर ग्रेच्युटी व अवकाश नकदीकरण की राशि को आयकर से पूर्णत: मुक्त किया जाये
- सभी बैकों में कामगार/अधिकारी निदेशकों की नियुक्ति अविलंब की जाए
- बैककर्मियों के आगामी वेतन पुनरीक्षण की शुरूआत शीघ्र की जाए
- पेंशन संबंधित मुद्दे पूर्ण सेवानिवृत्त सहित सभी के लिए पेंशन योजना के भारतीय रिजर्व बैक / केन्द्र सरकार की तरह सुधार किये जाए
- NPS के स्थान पर बैंकों में पूर्व में जारी पेंशन योजना जारी की जाये, रिकार्ड नोट दिनांक 25/05/2015 पर आगे कार्यवाही की जाये
- केन्द्र सरकार की तर्ज पर सरकार द्वारा स्वीकृत अनुकम्पा नियुक्ति योजना लागू की जाये
- समस्त संवर्गो में समुचित भर्ती की जाए
- बैंकों द्वारा नोटबन्दी में किये गये व्यय की प्रतिपूर्ति सरकार द्वारा की जाए
- पांच दिवसीय बैंकिंग को शीघ्र प्रारम्भ किया जाए
- खराब ऋणों की वसूली के लिये कठोर एवं कारगर कदम उठाये जाएं तथा बैंक के उच्च प्रबंधन की जवाबदेही तय की जाये
- जानबूझकर बैंक ऋण नहीं चुकाने वालों पर दण्डात्मक कार्यवाही की जाये.