कुंवर सिंह विवि में होती थी पढ़ाई ,लटक गया ताला 
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रिपोर्ट -आरा से ओम प्रकाश पाण्डेय के साथ रवीन्द्र भारती




जी हां 30 करोड़ लोगों की बोली कहें या भाषा की पढ़ाई बंद कर दी गई है . ख़बर ब्रेकिंग है या एक्सक्लूसिव  इससे  फर्क  नहीं पड़ता. 30 करोड़ भोजपुरी भाषी,भोजपुरी में बनने वाली फिल्मों का अरबों का कारोबार, देश विदेश में उसकी धाक जो है आप भी वाकिफ हैं.उसकी  पढ़ाई बंद कर देने को आप क्या कहेंगे.जहां तक याद है मोदी से लेकर सभी दलों के नेताओं ने चुनाव में वायदे किये थे कि सरकार बनी तो भोजपुरी को आसमान पर ला देंगे . लीजिये अब आसमान पर है. बंद हो गई पढ़ाई, भूल जाइए भोजपुरी. भोजपुरी को लेकर देश विदेश से सोशल मीडिया में सभी लोग इस कदम को गलत ठहरा रहे है . राज्यपाल से इस्तीफे की मांग भी होने लगी . राज्यपाल भवन से एक चिठ्ठी निकली और एक भाषा की पढ़ाई पर विराम लग गया .गौरतलब हो कि 23 सालों से भोजपुरी की पढ़ाई चल रही थी एक हजार के करीब छात्र यहां से निकले ,कुछ यहां पढ़ाते भी है .पीएचडी करके नौकरी भी कर रहे है .अब सब बंद .भोजपुरी भवन में किसी अन्य विषयों की पढ़ाई से भोजपुरी के लोगों की अस्मिता को भी चोट पहुंची है.

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स्यंदन सुमन इसी भाषा और विवि से जुड़े है जिन्होंने अपना दर्द कुछ यूँ बयां किया...24 अगस्त 2016 के बिहार राजभवन के निर्देश प 22 बरिस से चल रहल वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय , आरा के स्नातकोत्तर भोजपुरी विभाग बंद कर देल ग ईल . जबकि बितल बाईस बरिस में हजारन लो एह विभाग से एम . ए. पास क्ईलन आ सैकड़न लोग पी एच डी कके सरकारी नोकरी में बाड़न आउर परमोसन पवले बाड़न बाकिर केहू समय रहते विभाग के बचावे खातिर कुछ ना कर पाईल. जवना में एगो हमहूं बानी…अब का क ईल जा सकत बा ..? एह विभाग के पूर्ववर्ती छात्र लोग आ भोजपुरी के नेही छोही भाई बहिन लो रवे सभे मार्गदर्शन करीं..

गजब  है सरकार की लीला जिसने 23 वर्षों में इस विभाग को एक भी स्थायी अध्यापक भी नहीं दे सका.इससे सरकार की मंशा साफ़ जाहिर होती है कि उसे भाषाओं से कितना प्रेम है .इस विवि में  सबसे ज्यादा समय तक बाबू गदाधर सिंह (1997 से 2008 तक) अध्यक्ष रहे और इस समय हिन्दी  के प्रोफेसर और कथाकार-आलोचक नीरज सिंह जी यह जिम्मेसदारी निभा रहे थे. जब  डॉ. नीरज सिंह से  बात करने की  कोशिश की गई तब उन्होंने कहा कि मैं इस विषय पर कुछ नहीं बोल सकता.आप वीसी से बात करें.वी सी हैं तो उनसे बात करना इतना आसान नही है. सोशल मीडिया पर हजारों लोगों ने अपनी बात रखी है.

वरिष्ठ पत्रकार गुंजन सिन्हा ने इस बात पर  कहा कि सरकार का दोमुंहा चेहरा खुली किताब जैसा है जिसे सब पढ़ रहे है .अब जन आन्दोलन से ही सरकार सुनने वाली है . वहीँ मैथिली फिल्म के लिए राष्ट्रीय  पुरस्कार पाने वाले निर्देशक नितिन चंद्रा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि  भोजपुरी सिनेमा का शर्मसार कर देने वाला नंगा और विभत्स चेहरा, और अब भोजपुरी भाषा की पढ़ाई का बंद होना, भोजपुरिया शिक्षित वर्ग की संवेदनहीनता का पूरी तरह से पर्दाफ़ाश करता है. लोकगायिका शारदा सिन्हा कहती है कि कई  विश्वविद्यालयों में मेरा आना जाना होता है. और इस नाते मुझे यह अनुभव है कि जब किसी विषय में पढ़ने वाले छात्र और शिक्षक नहीं होते हैं तो वित्तीय कठिनाइयों का हवाला दे कर विषय को हटाया जाता है. जो कि आंशिक रूप से कई बार सही भी होता है लेकिन जब बात भोजपुरिया क्षेत्र में भोजपुरी भाषा की हो तब इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता थी. जहाँ भोजपुरी भाषा के संरक्षण के लिए सकारात्मक कार्य कर ऐसी मुश्किलों का सामना करना चाहिए था वहां अपनी आम जिम्मेवारी के तहत, किसी भी कारण से , भोजपुरी विषय को हटाने का विचार तर्कसंगत नहीं है और भोजपुरी भाषा की तरफ उदासीनता का ज्वलंत प्रमाण है. राष्ट्रीय स्वाभिमान आन्दोलन के पवन श्रीवास्तव कुछ यूं बताते है…

कुँवर सिंह विश्वविद्यालय में भोजपुरी विभाग बंद

क्यों हुआ ? राजभवन के आदेश से।
राजभवन ने ऐसा आदेश क्यों दिया ?क्योंकि,विश्वविद्यालय के भोजपुरी विभाग को सरकार की मान्यता नहीं थी ।सरकार की मान्यता क्यों नहीं थी ?क्योंकि विश्वविद्यालय की तरफ से ऐसा कोई प्रस्ताव सरकार के पास नहीं भेजा गया था ।विश्वविद्यालय ने प्रस्ताव क्यों नहीं भेजा था ?

क्योंकि अभी तक प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है ।

प्रक्रिया क्या है ?
1. शिक्षा परिषद प्रस्ताव पास करके सिंडिकेट में भेजता है ।
2. सिंडिकेट में प्रस्ताव  पास हो जाने के बाद ।
3. कुलपति के माध्यम से सरकार के पास जाता है ।
4 . सरकार अपनी सहमति के साथ राजभवन को भेज देती है ।
5 . राजभवन सहमत हो तो कुलाधिपति सह राज्यपाल के हस्ताक्षर से मान्यता संबंधी अधिसूचना जारी हो जाती है ।

अद्यतन स्थिति क्या है ?अतीत में कभी शिक्षा परिषद् ने प्रस्ताव पारित किया था ।
फिर क्या हुआ ?
जो कुछ विश्वविद्यालय में होना था,वह नहीं हुआ ,और जो कुछ राजभवन में होना था वह हो गया ।
मतलब ?
कुँवर सिह विश्वविद्यालय के भोजपुरी विभाग में ताला बंद हो गया ।
अब क्या होगा ?
हम का जानें …..!

बिहार की बेटी फिल्म अभिनेत्री नीतू चन्दा ने अपनी प्रतिक्रिया ट्विटर के जरिए भेजी है ..

nituchndra

आप भी अपनी प्रतिक्रिया भेजें हम उसे शामिल करेंगे मेल करें  [email protected]  पर

 

 

 

 

By pnc

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