जे पी की मूर्ति भी बाहर निकाला
गांधी विद्या संस्थान गांधियन इंस्टीच्यूट ऑफ़ स्टडीज को कुछ दबंगों ने अपनी जागीर बना ली है. काशी की पुण्य भूमि पर लोक नायक जयप्रकाश नारायण द्वारा स्थापित संस्थान जहां शोध कार्य तो बंद ही है, कर्मचारी भी भूखे मर रहे है. आज जे पी औऱ गाँधी की आत्मा अपने अनुयायियों को देख क्या महसूस कर रही होगी, ये सवाल पुरे देश के लिए है. जवाब यही होगा कब्जेदारो से मुक्ति,संस्थाओं की जमीन को अपनी मिल्कियत बना लेना ठीक नहीँ.ऐसे तत्वों का सामाजिक बहिष्कार करते हुए कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए, ठोस प्रयास औऱ निष्पक्ष हो कब्जेदारों से मुक्ति.ऐसे कई सवालों के साथ पूर्व कुलपति प्रो. रामजी सिंह गांधीवादी विचारक समेत देश के कई आन्दोलनकारी नरेन्द्र मोदी के संसदीय और वयोवृद्ध गांधीवादी इलाके में सत्याग्रह धरना पर बैठ गए क्योंकि गांधी और जे पी का अपमान हुआ है.
वयोवृद्ध गांधीवादी प्रो. रामजी सिंह ने उच्च शिक्षा मंत्री से संस्था को पुनर्जीवित कर अवैध कब्जेदारें को हटाया जाने की मांग कर रहे है. इससे पहले बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने संस्थान को पुनर्जीवित करने के लिए हजरतगंज में गॉंधी प्रतिमा पर धरना देकर बापू से गुहार की.यह एक अलग तरह का धरना था, जिसमें लोगों ने भजन गाये और गांधीवादी तरीके से शांतितिपूर्वक सत्याग्रह किया. धरने का आयोजन सम्पूर्ण क्रांति मंच,राष्ट्रीय मंच और सर्वोदय समाज की ओर से किया गया.
धरने का नेतृत्व कर रहे वयोवृद्ध गांधीवादी प्रो रामजी सिंह ने खेद प्रकट किया कि कुछ निहित स्वार्थ लोगों ने कतिपय अधिकारियों के साथ मिलकर संस्था की सोसायटी भंग करवा दिया. संस्था इस समय सरकार की कैद में बंद पड़ी है.
सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय ने कहा कि पचास साल पहले यह संस्था महात्मा गॉंधी के कार्यों और विचारों पर शोध के लिए बनायी गयी थी लेकिन गांधी विरोधी लोगों ने न केवल संस्थान और उसके पुस्तकालय को नष्ट किया. जे पी की प्रतिमा को भी अपमानजनक ढंग से पुस्तकालय से निकालकर खुले में रख दिया है. शासन के आदेश पर कमिश्नर वाराणसी ने तीन साल पहले अपनी जांच रिपोर्ट में पूरा विवरण देते हुए उच्च शिक्षा विभाग को एक संचालन समिति बनाने की सिफारिश की थी मगर फाइल उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी दबाये हुए हैं. वरिष्ठ पत्रकार राम दत्त त्रिपाठी ने कहा कि संस्थान के साथ-साथ महात्मा गॉंधी के विचारों को बचाने की भी लड़ाई और जेपी के कार्य को आजीवन बचा कर रखना एक चुनौती है.
इस सत्याग्रह धरने पर लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो रूप रेखा वर्मा, प्रो कमर जहां ,पूर्व पुलिस महानिदेशक आई सी द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्ता सुरेन्द्र विक्रम सिंह, नवीन चंद्र तिवारी, सर्व सेवा संघ के मंत्री विजयभाई , शिवविजय सिंह, अरुण कुमार मिश्र, मो शोएब, पुतुल कुमारी, जागृति राही, नीरज अरोरा, डा दिलीप, डा आनंद तिवारी और कर्मचारी नेता गोरखनाथ यादव आदि शामिल थे.धरने में जे पी की छात्र युवा संघर्ष वाहिनी, सर्वोदय मंडल के कार्यकर्ता , संस्थान के प्राध्यापक और कर्मचारी भी शामिल थे.
संस्थान की कुल सचिव डा. मुनीजा खान ने बताया कि संघर्ष की अगली रूपरेखा तय करने के लिए अगली बैठक 31 अगस्त को सर्व सेवा संघ परिसर राजघाट वाराणसी में होगी.