NIT घाट के समीप गंगा में दो नाव डूबने पर लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इस घटना को दुखद बताया है और सरकार को आड़े हाथों लिया है ,दियारा इलाके में पर्यटन विभाग ने पतंगबाजी उत्सव का आयोजन किया ,इंतजाम भीड़ के अनुरूप नहीं हुए लोगों को लाठियां खानी पड़ी ,सम्पर्क पथ टूटा और देर शाम लौटने के समय हादसा हुआ जिसमे अब तक 24 लोगों की जान गई,जांच बिठा दे गई ,मुआवजे की घोषणा हो गई ,कुछ तस्वीरों के जरिये और लोगों की प्रतिक्रिया से जाने क्या हुआ था .
पटना में गंगा नदी में नाव के डूबने से कई जानें चली गयी. नीतीश जी इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा? लोग सरकार समर्थित पतंगबाजी उत्सव का हिस्सा बनने गए थे. सरकार को सबकी सुरक्षा का इंतजाम करना चाहिए था, जो नहीं हुआ. लौटने के लिए पर्याप्त नाव नहीं होने के कारण नाव पर क्षमता से ज्यादा लोग सवार हुए। जो मासूमों की मौत का कारण बना. ये सीधे-सीधे आपराधिक प्रशासनिक लापरवाही का मामला है. प्रशासन की लापरवाही ने मासूमों की हत्या की है. जवाबदेही तो आपकी ही बनती है.
मासूम लोग दंगे ने मरें या रेल या नाव हादसे में, मौत मौत ही होती है. घर वैसे ही टूटते हैं। जिंदगियां वैसे ही बर्बाद होती है. वैसे आप जिम्मेदारी लेंगे, इसकी उम्मीद नहीं है.इस देश में आम लोगों की मौत की जवाबदेही कोई नहीं लेता. न दंगे होने पर. न रेल दुर्घटना होने पर.न नाव के डूब जाने पर. -अवनीश मिश्रा
बिहार सरकार हादसा की जिम्मेदारी ले और इस्तीफा दे———-
पटना नाव हादसा…
गंगा के दियारा क्षेत्र में पतंगबाजी का सरकारी कार्यक्रम था.
40000 की अनुमानित भीड़ के लिये महज 2 दर्जन नाव की व्यवस्था.
सरकारी नाव शाम 04 बजे तक चलती रही.इसके बाद लोग प्राइवेट नाव पर सवार हुए.
दो नाव डूबी…अनुमनित मौत 50 से ऊपर.-धीरेन्द्र कुमार ,पत्रकार
सरकारी दावा २१ मौतें …. घाट पर मौजूद लापता लोगों के परिजनों को देख कर कहा जा सकता है कि मृतकों की संख्या इससे हो सकती है बहुत ज्यादा…. नीतीश सरकार के आपदा प्रबंधन की एक बार फिर खुली पोल.. NDRF के बाद पहुँचा जिला – प्रशासन…प्रकाश-पर्व उत्सव के इंतजामातों की कुछ ज्यादा ही हो गई थी ‘ब्रैंडिंग’ …सरकार व् प्रशासन की खुमारी नहीं हुई थी दूर….गंगा दियारे में जुटी बडी़ भीड़ ((लगभग १ लाख )) के बावजूद क्यूँ नहीं थीं प्रशासन की तरफ से किसी संभावित हादसे से निबटने की तैयारियां ? ….एक भी एम्बुलेन्स नहीं था तैनात … पहले से क्यूँ नहीं थी तैनात SDRF या NDRF की टुकड़ी ? दियारे से लोगों को वापस लाने के लिए क्यूँ नहीं की गयी थी नावों – स्टीमरों की समुचित व् पर्याप्त व्यवस्था ? क्यूँ नहीं लगाई गयी थी वरीय पुलिस व् प्रशासनिक अधिकारी की निगरानी / नेतृत्व में पर्याप्त पुलिस – बल की ड्यूटी ? किन कारणों से हादसे के दो घंटे से भी ज्यादा वक्त के बाद घटना- स्थल पर पहुँचे पटना के वरीय आरक्षी – अधीक्षक व् जिलाधिकारी ? आलोक कुमार ,वरिष्ठ पत्रकार
मित्रों,,,,हम सबों ने प्रकाशोत्सव आयोजन में सुविधाओं और सुरक्षा के लिए सरकार की तारीफों में कोई कसर नहीं छोड़ा,,,,,पर छोटा सा पतंग उत्सव में सरकार ने किसी तरह की सुविधा और सुरक्षा की थी क्या,,,,?,,,इस घटना के जिम्मेदार कौन हैं,,,फिर घटना पर होगी लीपापोती,,बस और कुछ नहीं,,,,घटना के बाद भी सरकार और प्रशासन सीख नहीं लेती,,,पहले तो लेती ही नहीं है,,,,क्या कर सकते हैं,,,,फिर किसी एक और घटना का इंतजार ,,,,,,,,सिलसिला चलता रहेगा,,,,बहुत दुःख होता है,,,जब किसी के माँ का बेटा,,बहन का भाई,,,भाई से बहन,,भाई से भाई ,,,इस तरह की घटना के शिकार होते हैं तो,,,सरकार और प्रशासन बहड़ी और गूंगी है,,, सुधीर मधुकर ,वरिष्ठ पत्रकार
तस्वीरों में …पतंगबाजी का आनंद और मौत का गम
और इसके बाद …..
आज सुबह