सफ़दर हाश्मी की स्मृति में नाट्य महोत्सव का दो दिवसीय आयोजन
प्रेरणा जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा पटना ने किया बहुचर्चित नाटक मोटेराम का सत्याग्रह का मंचन
सफ़दर हाश्मी की स्मृति में पटना की प्रेरणा जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा पटना ने बहुचर्चित नाटक मोटेराम का सत्याग्रह का मंचन कालिदास रंगालय में किया .सफ़दर हाश्मी एवं हबीब तनवीर द्वारा लिखित और मृत्युंजय कुमार निर्देशित नाटक मोटेराम का सत्याग्रह में कलाकारों ने अपने उम्दा अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया .नाटक भले ही पुराना हो लेकिन आज के सन्दर्भ को बड़े ही रोचकता के साथ वस्तुस्थिति को रखता है . कलाकारों ने भी अपने अपने किरदार के साथ न्याय करते हुए दर्शकों को निराश नहीं किया .
क्या है नाटक की कहानी
यह नाटक अपने अधिकारोंके लिए संघर्ष करने वाली जनता को दिशाहीन करने की शासकीय साजिशों को बेनकाब करता है. शहर की जनता अपने सवालों को लेकर हड़ताल करने का निर्णय लेती है. हड़ताल के दिन ही मंत्री महोदय का शहर में आने की ख़बर प्रशासनिक हलकों को मिलती है. पूरे प्रशासनिक हलकें में कोहराम मच जाता है. मंत्री जी के दौरे को सफल बनाने की पूरजोर प्रयास किया जाता है. हड़ताल को असफल करने के लिए हड़ताल के दिन ही ‘ शहर के प्रतिष्ठित पुरोहित मोटे राम शास्त्री को पैसे देकर आमरण अनशन पर बैठ जाने को राजी कराया जाता है.
तमाम प्रयासों से हड़ताल के प्रस्ताव को वापस करा लेने के लिए शहर वासियों को दबाब में लाया जाता है. शहरवासी हड़ताल वापस करने को कतई राजी नहीं होते है. उधर मोटे राम शास्त्री भूख बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं और अंतत: मिठाईयों के आगे उनका मन ललच जाता है और वे भूख हड़ताल तोड़ देते हैं.
कलाकारों में एक चीज दिखी वो एक साथ कई भूमिका का निर्वाह कर रहे थे .सिपाही और मौलवी जीशान फजल , सिपाही ग्रामीण –रविश शर्मा , मजिस्ट्रेट राहुल कुमार ओझा , अफसर,रायबहादुर और ग्रामीण -रत्नेश पाण्डेय, अफसर, चंदा धोबी और पंडित- अजय कुमार, अफसर और सेठ –अमरेन्द्र कुमार, अफसर और आचार्य जी -राहुल राज, अफसर, खोमचे वाला और ग्रामीण –गंगाधर तंतूबाई, अफसर खानबहादुर और ग्रामीण- उज्जवल कुमार श्रीवास्तव, थ्री नॉट थ्री –रौनित नयन ,पंडित मोटेराम शास्त्री –मृत्युंजय कुमार, चमेली जान और पंडिताइन रूबी खातून, सेठ 2-3 बसंत तिवारी और अजित कुमार और नौजवान के किरदार में वत्शा कृष्णा की मेहनत मंच पर दिख रही थी. नाटक में संगीत-जानी और सुधांशु आनंद और प्रकाश परिकल्पना हीरा लाल की थी . निर्देशक मृत्युंजय कुमार ने सभी कलाकारों के साथ जो मेहनत की वह मंच पर दिख रही थी.
मंच से परे
नाटककार:- सफ़दर हाश्मी एवं हबीब तनवीर
निर्देशन:- मृत्युंजय कुमार
सह निर्देशन:- वत्श कृष्णा
प्रस्तुति नियंत्रण:- हसन इमाम
प्रस्तुति:- प्रेरणा (ज०सा०मो०)