आरा,14 अक्टूबर. शारदीय नवरात्र में मां की भक्ति में लीन भक्तो की वजह से पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है. कोरोना की वजह से पिछले साल सुनी पड़ी सड़को और गलियों में इस साल दुर्गा मां की पूजा आराधना के बाद जगह – जगह पूजा पंडालों की वजह से शहर में फिर से पुरानी रौनक लौट आई है लेकिन अभी भी लोग सतर्कता बरत रहे हैं. जो सर्तकता बरत रहे हैं वे मास्क के साथ घूमते दिखे अन्यथा अधिकांश संख्या तो दशहरे में पंडालों का चक्कर लगाने वाले बिना मास्क के ही दिखे.
दुर्गा सप्तमी के दिन से पूजा-अर्चना के बाद शहर के सभी पूजा पंडालों में मां दुर्गा के पट खोल दिए गए. शहर में पूजा पंडालों में मां की भव्यता अपने आप में अनोखी दिखी जिसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती. लेकिन पंडालों में पुराने होमगार्ड कार्यालय परिसर में कोलकाता का विक्टोरिया मेमोरियल हाउस, सर्किट हाउस के सामने दक्षिण भारत का श्रृंगेरी मठ,बैंक कॉलोनी मोड़ पर हैदराबाद का विष्णु मंदिर,बिहारी मिल पर उड़ीसा का भव्य मंदिर,चंदवा मोड़ पर अक्षर धाम का मंदिर, टी वी अस्पताल परिसर में बना इसरो, बाजार समिति के सामने बना दिल्ली का लक्ष्मी नारायण मंदिर और रमना मैदान में बाहुबली फिल्म के सेट की तर्ज पर बने पंडालों ने अपनी भव्यता से नवमी की पूरी रात्रि तक लोगों की भारी भीड़ को अपनी ओर आकर्षित किया. रातभर लोगों की भीड़ देखकर ऐसा लगा जैसे शहर की आबादी अचानक बढ़ कैसे गई!
वैसे तो हर बार की तरह कोलकाता स्टाइल की भव्य प्रतिमा अरण्य देवी मंदिर के पास स्थित पंडाल की दिखी.
इसके अलावा चंदवा, बाजार समिति, होमगार्ड ऑफिस, बाबू बाजार और महावीर टोला स्थित पंडालों में मां दुर्गा की भव्यता अनोखी दिखी. सपना सिनेमा के पास स्थित पंडाल में स्प्रिंग की दुर्गा प्रतिमा को देखने के लिए भीड़ दिखी.
थोड़े देर के अंतरालों पर शो के जरिए मां दुर्गा द्वारा राक्षस के संहार को साउंड और लाइट के जरिए दिखाया गया. सपना सिनेमा के पास युवाओं द्वारा सीरीज बल्ब से रोड के दोनो ओर स्थित घरों को सजाने का जो प्रयोग किया वह अच्छा लगा. उससे खूबसूरती अनूठी दिखी.
वही पूजा पंडालों के अंदर मां दुर्गा की प्रतिमा की चर्चा सबसे ज्यादा लोगों के मुख से बाबू बाजार स्थित बने पंडाल की सुनने को मिली. मां की भव्य प्रतिमा के उपर भगवान शिव का रूप विद्यामान है और उनकी फैली जटाओं से गंगा की धारा को दिखाया गया है.
गंगा की धारा को निर्वाध दिखाने के लिए आस पास के पांच घरों से पाइप का क्नेशन पूजा पंडाल तक किया गया है जिससे 6 बजे से रात एक बजे तक लगातार पानी गंगा की धारा के रूप में मां की प्रतिमा के उपर से गिरते रहता है। यही इसके आकर्षण का मुख्य कारण है। यहां के अध्यक्ष चंदन कुमार ने बताया कि वैसे तो हमलोग हमेशा एको फ्रेंडली ही मूर्ति का निर्माण मिट्टी द्वारा ही करवाते हैं लेकिन इस बार की थीम की वजह से प्लास्टर ऑफ पेरिस से मूर्ति का निर्माण कराया गया ताकि लगातार पानी का बहाव मूर्ति को डैमेज ना कर पाए. प्लास्टर ऑफ पेरिस की वजह से भव्य और दिव्य मूर्ति का वजन लगभग 900 किलो का हो गया है. भगवान शंकर की जटाओं को दर्शाने के लिए मूर्ति को बड़ा और भव्य बनना था इसलिए इस भव्यता ने लोगों आकर्षित तो किया है लेकिन 9 टन की मूर्ति को विसर्जित के लिए कैसे ले जाया जाएगा यह आयोजन समिति के लिए चिंता का विषय है. हालांकि बाबू बाजार स्थित मोहन सिनेमा के कैंपस में बने इस मूर्ति और पंडाल की भव्यता से खुश हो मोहन सिनेमा के पुराने स्टाफ आनंद प्रकाश कहते हैं कि सब मां की इच्छा से हुआ है वरना इतना भारी मूर्ति का निर्माण कभी नही हुआ था.
आरा से ओ पी पांडेय और सत्य प्रकाश सिंह की रिपोर्ट