9वीं वर्षगाँठ : जहाँ 9000 महिलाएं बनी स्वावलंबी

By om prakash pandey Jan 22, 2020


ट्रस्ट ने दिया 17 लोगों को ‘सृजन-सम्मान’
नेशनल साइंटफिक रिसर्च एवं सोशल एनालिसिस ट्रस्ट की 9वीं वर्षगाँठ
अलग-अलग क्षेत्रो में बेहतर काम कर रहे भोजपुर के 17 विशिष्ट लोगों को ट्रस्ट ने दिया सृजन-सम्मान

आरा, जनवरी. मंगलवार को नेशनल साइंटिफिक रिसर्च एंड सोशल एनालिसिस ट्रस्ट की 9वीं वर्षगांठ मठिया स्थित उसके कार्यालय में धूमधाम से मनाई गई, जिसमें एक कला प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया. इस कला प्रदर्शनी में राज्य के ख्याति प्राप्त कलाकारों की कलाकृतियां भी प्रदर्शन के लिए लगाई गई. गैलरी में राज्य पुरस्कार प्राप्त सरिता शर्मा (वरिष्ठ हस्तशिल्पी,कशीदा व एप्लिक) सहित कशीदा व एप्लिक में ही बेहतरीन काम कर रही युवा हस्तशिल्पी विभूति कुमारी व अंजुम आरा ने अपने वर्क को गैलरी में लगाया.




कला प्रदर्शनी में भोजपुरी पेंटिंग के अलावा एप्लिक वर्क और कशीदाकारी के अनोखे काम देखने के लिए शहर के बुद्धिजीवियों ने कार्यक्रम में शिरकत किया. कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में देश के ख्याति प्राप्त कवि व पटकथा लेखक, गंगा यात्री निलय उपाध्याय व बाल कल्याण समिति की पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर सुनीता सिंह ने दीप प्रज्वलित कर किया. उसके बाद उन्होंने वहां गैलरी में लगी कलाकृतियों और हस्त-शिल्प से बनी कलाकृतियों का भी अवलोकन किया और उसे सराहा. इस मौके पर शहर के लगभग डेढ़ दर्जन लोगों को उनके अपने क्षेत्र में लगातार बेहतर काम कर मुकाम बनाने वालों को ट्रस्ट ने सर्जन-सम्मान से सम्मानित किया.

बतौर अतिथि गंगा यात्री निलय उपाध्याय ने लगभग 9 हजार नारियो को कला के माध्यम से स्वावलंबी बनाने वाली इस ट्रस्ट और इसके संस्थापक व अध्यक्ष श्याम कुमार को प्रणाम करते हुए इसे मानव कल्याण का कार्य कहा. उन्होंने कहा कि आज ऐसे संस्थाओ की वजह से लेदरा,सुजनी, अदौरी,पापड़, दनौरी जैसी कई लोक जीवन मे उपयोगी वस्तुएं बची हुई हैं वरना इस बाजारवाद और शहरीकरण के विकास रूपी विनाश में मानव का अस्तित्व खतरे में है.

उन्होंने कहा कि नारी आरम्भ से प्रताड़ित रही है. हजार नारियों का दुःख एक नदी का दुःख है. खुशी है कि नदियों का दुख कोई नही समझ रहा है लेकिन यहाँ नारियों का दुख समझने वाला यह संस्था है जो उन्हें स्वावलंबी बनाने का काम कर रहा है. इस मौके पर लोगों के डिमांड पर उन्होंने नारी पर आधारित दो कविताएँ ‘रधिया का भाई’ व ‘माँ की सीख’ सुनाया. कविताओं के भावात्मक संवेदना ने सबकी आँखे नम कर दीं.

इस मौके पर सम्मानित होने वाले अतिथियों में भोजपुर व बक्सर की बाल कल्याण पदाधिकारी डॉ सुनीता सिंह ने कहा कि कला के संवर्धन करने में विगत 9 वर्षों में जो काम नेशनल साइंटिफिक रिसर्च एवं सोशल एनालिसिस ट्रस्ट ने किया है,उसका परिणाम आज कला गैलरी में देखने को मिल रहा है. उन्हें फक्र है कि भोजपुर के आंचल में कला फलीभूत हो रहा है.

वहीं प्रो डॉ नीरज सिंह ने कहा कि ट्रस्ट मे जिस प्रकार भोजपुरी कला की लगातार सेवा व उसके संवर्धन का प्रयास किया है वह काबिले तारीफ है. इस बाजारवाद के दौर में भी कला के प्रति रुचि और लगातार सेवा ट्रस्ट की विशेषता है. मौके पर भूतपूर्व सैनिक व किसान नर्वदेश्वर शुक्ला ने भी संस्था द्वारा किये गए कार्यो की भूरी-भूरी प्रशंसा की. बताते चलें कि उन्हें प्रायोगिक खेती और जैविक खेती के लिए जाना जाता है. भोजपूरी कला के विकास के लिए सम्मिलित रूप से काम करने की जरूरत पर उन्होंने जोर दिया.

ट्रस्ट के चेयरमैन श्याम कुमार ने कार्यक्रम का संचालन व आगत अतिथियों को धन्यवाद दिया. उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा अब तक लगभग लगभग 9000 लोगों को एप्लिक वर्क,कशीदाकारी, ब्यूटीशियन और पेंटिंग की ट्रेनिंग दी जा चुकी है

विशिष्ट व्यक्तित्व सम्मान समारोह के अंतर्गत हस्तशिल्प, पत्रकारिता,शिक्षा,साहित्य,संगीत और रंगकर्म के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान हेतु गुलाब का फूल व सम्मान-पत्र देकर सम्मानित किया गया. इस मौके पर संगीत कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया. जिसमें राजा बसंत, श्याम शर्मीला, अविनाश पांडेय व साधना ने अपनी सुरीली आवाज से आगन्तुकों को झूमने पर मजबूर कर दिया. निर्गुण,झूमर, सोहर, पूर्वी जैसे कई लोकगीतों की प्रस्तुति की गई. नाल पर अभय कुमार ओझा व झाल पर मनोज सिंह ने संगत किया. इस मौके पर संयोजक संजय नाथ पाल, मनोज सिंह,शालिनी कुमारी,पूजा,अनामिका,शालू कुमारी,शगुन, और सुनैनी आदि ने संगत किया . इस दौरान उपस्थित गणमान्य लोगों में सत्येंद्र सिन्हा,राजेश तिवारी,मंगलेश तिवारी,पंकज सुधांशु,पंकज भट्ट, अजय शाह, तरुण, संजय सिंह, रीना देवी, प्रमोद कुमार, गौशिया, जेबा, मेहरूनिशा, चंद्रकांती सहित अन्य लोग उपस्थित रहे. कार्यक्रम का संयोजन निशिकांत श्रीवास्तव ने और धन्यवाद ज्ञापन कोषाध्यक्ष वीणा सहाय ने किया.

सम्मानित होने वाले विशिष्ट लोग:
पत्रकारिता :
निखिल केडी वर्मा – पटना नाउ (मैनेजिंग एडिटर)
अमित वर्मा – वरिष्ठ पत्रकार, (ई टी वी भारत, पटना)
सुशील कुमार सिंह -हिंदुस्तान(ब्यूरो चीफ, आरा)
भीम सिंह भवेश – राष्ट्रीय सहारा( ब्यूरो चीफ, आरा)
राकेश सिंह – दैनिक भास्कर (ब्यूरो चीफ, आरा)
मिथलेश सिंह -प्रभात खबर(ब्यूरो चीफ, आरा)
डॉ पंकज कुमार सुधांशु- हिंदुस्तान, रिपोर्टर
कमलेश पांडेय – दैनिक भास्कर, पत्रकार
रजनीश त्रिपाठी – दैनिक आज(ब्यूरो चीफ आरा)
ओ. पी. पांडेय – पटना नाउ(सीनियर कंटेंट एडिटर)

रंगकर्म, संगीत व चलचित्र क्षेत्र में :
चन्द्रभूषण पांडेय- वरिष्ठ रंगकर्मी
संजीव सिन्हा – चित्रकला
प्रो. नीरज सिंह – साहित्य व शिक्षा
सरिता शर्मा – राज्य पुरस्कार प्राप्त वरिष्ठ हस्तशिल्पी (कशीदा व एप्लिक)
विभूति कुमारी-युवा हस्तशिल्पी – (कशीदा व एप्लिक)
डॉक्टर सुनीता सिंह – महिला सशक्तिकरण व बाल विकास
रंजीत कुमार सिंह(DOP, निर्देशक व अभिनेता) – चलचित्र निर्माण

आकर्षित करती रही चादर पर बुद्ध और महावीर की शानदार एप्लिक वर्क
ट्रस्ट की 9वीं वर्षगाँठ पर आयोजित कला गैलरी में वैसे तो पेंटिंग,पर्स, कुशन, तकिया खोल,जैकेट, टेबुल क्लॉथ समेत कई वस्तुएं थी, लेकिन एप्लिक वर्क की हुई युवा विभूति कुमारी की एक चादर आकर्षण का केंद्र रही, जिसपर उसने अपनी कल्पना से भगवान बुद्ध और भगवान महावीर को खूबसूरत अंदाज़ में बनाया था. पीपल के पेड़ के नीचे भगवान बुद्ध तो जीवंत दिखते ही थे, पीपल के पत्ते लगते मानो अभी हिल पड़ेंगे. बताते चलें कि गोढना रोड की रहने वाली यह विभूति वो कलाकार है जो सुई धागा का नाम सुनकर ही चिढ़ जाती थी लेकिन आज इसकी पहचान इसी सुई-धागे ने दे दी है.

आरा से अपूर्वा व सत्य प्रकाश सिंह की रिपोर्ट

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