सामूहिक दीप जलाने के इस संकल्प ने इस सनकित कि घड़ी में देशवासियों के एकसूत्र में बंधे होने का संकेत दिया. इस संकेत ने बता दिया कि कोरोना के खिलाफ जंग में सभी भारतीयों में सकारात्मक उम्मीदें हैं.
हालांकि इस दीप जलाने के कार्यक्रम का विपक्षियों द्वारा घोर निंदात्मक प्रचार किया गया लेकिन इससे कोई प्रभाव नही पड़ा. लोगों ने तो कहा कि दीप भारतीय संस्कृति की एक मजबूत पहचान है.
आरा में दीप जलाता एक परिवार
सनातनी हर कार्यों के शुभ के लिए दीप ही जलाते हैं. बक्सर और आरा दीपों से जगमग हो उठा. बक्सर ही क्या पूरे प्रदेश और देश का जगमगाता रंग आज दीपावली की याद दिला गया.
घर के बालकोनी में दीप जलाती युवती
दीप जहां स्वच्छता और सुंदरता के साथ देवत्व व शांति का प्रतीक है वही 9 अंक नई शुरुआत का प्रतीक है.
स्कन्दपुराण में लिखा गया है:-
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह ।
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतामिति ।
दीप जलाती महिला
यानि कि त्रयोदशी के प्रदोषकाल में यमराज के निमित्त दीप और नैवेद्य समर्पित करने पर अपमृत्यु अर्थात् अकाल मृत्यु का नाश होता है. रविवार त्रयोदशी का प्रदोषकाल था, इसके कारण दीप का महत्व और बढ़ जाता है. दीपक सकरात्मक ऊर्जा का द्योतक है. गांव से लेकर शहर तक हर गली दीपों से गुलजार ऐसा हुआ मानो दीपावली का दिन हो. लोगों ने घी के दीयों संग, तेल और मोमबत्तियां भी जलायी.
गाँव में दीप जलाती युवती
ओ पी पांडेय की रिपोर्ट