भोजपुरी के बढ़ते दायरे की साक्षी है पाती पत्रिका
पाती भोजपुरी पत्रिका के सौवें अंक का लोकार्पण
आरा, 23 मई. भोजपुरी को भले ही कोई 8वी अनुसूची में शामिल ना करे, भले ही इसे जाहिलों वाला भाषा समझे या इसे संवैधानिक मान्यता न दे लेकिन इसकी मजबूती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस भाषा में जहां 8 व्याकरण की किताबें और कई साहित्यकारों की सैकड़ों किताबें हैं वही एक पत्रिका ऐसी है जो लगातार 43 वर्षों से प्रकाशित होते आ रही है. पत्रिका 43 वर्षों से लगातार भोजपुरिया भाषा जानने वालों के बीच आ रही है.
43 साल से अनवरत प्रकाशित हो रही भोजपुरी की चर्चित पत्रिका पाती के सौवें अंक का लोकार्पण आज भोजपुरी विभाग के दुर्गा शंकर प्रसाद सिंह नाथ सभागार में सम्पन्न हुआ. मौके पर भोजपुरी के साहित्यकार और साहित्य प्रेमियों का जुटान हुआ जिनमें समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ अवध बिहारी सिंह, साहित्यकार रामयश अविकल, सुमन कुमार सिंह, कथाकार कृष्ण कुमार के अलावे भोजपुरी विभाग के शोधार्थी राजेश कुमार, संजय कुमार, रवि प्रकाश सूरज, सोहित सिन्हा, धनन्जय कटकैरा आदि शामिल थे. समारोह की शुरुआत में पाती पत्रिका के लोकार्पण के बाद भोजपुरी विभागाध्यक्ष प्रो दिवाकर पांडेय ने कहा कि किसी भोजपुरी पत्रिका का सौंवां अंक प्रकाशित होना भोजपुरी भाषा के मजबूत होते जाने का परिचायक है. कथाकार कॄष्ण कुमार ने कहा कि पाती पत्रिका ने अनगिनत साहित्यकारों के निर्माण में योगदान दिया है जिसे भुलाया नहीं जा सकता. रसायनशास्त्र के शिक्षक संजय कुमार सिंह ने कहा कि साहित्य की रचना वैसी होनी चाहिए जैसा समाज हम बनाना चाहते हैं. रामयश अविकल ने पाती परिवार को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की. सुमन कुमार सिंह ने पाती पत्रिका को भोजपुरी की सबसे समृद्ध और सुसज्जित पत्रिका करार दिया. वरिष्ठ साहित्यकार आलोचक जितेंद्र कुमार ने कहा कि पत्रिका की सफलता के पीछे सम्पादक अशोक द्विवेदी जी का संघर्ष है और इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं. पूर्व विभागाध्यक्ष और प्रो बलिराज ठाकुर ने पाती पत्रिका के इतिहास को रेखांकित करते हुए कहा कि आज का अवसर स्वर्णाक्षरों में अंकित करने योग्य है. अध्यक्ष मंडल के सम्बोधन की शुरुआत करते हुए भोजपुरी के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो रविन्द्र नाथ राय ने कहा कि भोजपुरी पत्रकारिता में पाती का नाम शीर्ष पर है. कथाकार और पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ नीरज सिंह ने कहा कि पाती पत्रिका भोजपुरी पत्रकारिता का मजबूत स्तम्भ है और सम्पादक अशोक द्विवेदी के साथ साथ पाती से जुड़ा हर सदस्य इसके लिए धन्यवाद का पात्र है. कार्यक्रम के अंत में अपने सम्बोधन में पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो अयोध्या प्रसाद उपाध्याय ने कहा कि वैश्विक रूप से भोजपुरी के बढ़ते दायरे का साक्षी है पाती पत्रिका के सौंवे अंक का प्रकाशन होना और भोजपुरी साहित्य को समृद्ध करने में इस पत्रिका का योगदान अविस्मरणीय है. समारोह का संचालन शोधार्थी रवि प्रकाश सूरज तथा धन्यवाद ज्ञापन संजय कुमार ने किया.
आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट