डॉ. डी. वाई. पाटिल पुष्पलता पाटिल इंटरनेशनल स्कूल में डॉ. पाटिल का भव्य स्वागत
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पटना (ब्यूरो रिपोर्ट) | मंगलवार दिनांक 6 अगस्त 2019 को डॉ. डी. वाई. पाटिल पुष्पलता पाटिल इंटरनेशनल स्कूल में डॉ. डी. वाई. पाटिल का भव्य स्वागत किया गया. ज्ञातव्य है कि यह विद्यालय उनकी स्वर्गीय पत्नी पुष्पलता पाटिल जी की अंतिम इच्छा के रूप में उन्हीं की स्मृति में बनाया गया है. अतः उन्होंने सर्वप्रथम उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण कर उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दी.
कार्यक्रम का प्रारंभ डॉ. डी. वाई. पाटिल, विद्यालय के अध्यक्ष प्रेमरंजन सिंह, उपाध्यक्ष अमरेंद्र मोहन, निदेशक डॉ. सी. बी. सिंह तथा प्राचार्या राधिका के. ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया.
कार्यक्रम का शुभारम्भ बच्चों द्वारा प्रस्तुत स्वागत-गान के साथ हुआ. महाराष्ट्र का प्रसिद्ध नृत्य ‘लावणी’ कार्यक्रम का आकर्षण केंद्र रहा. इसके अलावा ‘बूंद- बूंद, लहर- लहर…. ‘, ‘तू है, तेरा यह संसार…….. जैसे गीतों पर बच्चों ने मनोहारी नृत्य प्रस्तुत किए.
बच्चों के प्रदर्शन तथा विद्यालय के अनुशासन की डॉ. पाटिल ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की. उन्होंने विद्यालय की गुणवत्ता एवं उपलब्धियों पर प्रसन्नता जाहिर की. बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि वे कठिन परिस्थितियों में भी सदा जीवन -पथ पर अग्रसर होते रहें. कठिनाइयाँ मनुष्य को मजबूत बनाती हैं, उन से डरे नहीं, डट कर उनका मुकाबला करें तथा जीवन के हर क्षेत्र में सफल बनें . उन्होंने बिहार में अपनी संस्थाओं के विस्तार की मंशा जाहिर की. उन्होंने कहा कि यदि परिस्थितियाँ अनुकूल रहीं तो अगले 5 वर्षों में न्यूनतम एक दर्जन संस्थान अस्तित्व में आ जाएंगे. विद्यालयों के अतिरिक्त कुछ तकनीकी शिक्षा संस्थानों की स्थापना की इच्छा भी डॉ. पाटिल ने व्यक्त की.
प्राचार्या राधिका के. ने कहा कि विद्यालय से जुड़ा प्रत्येक व्यक्ति कदम- कदम पर उनका मार्गदर्शन चाहता है. डॉ. पाटिल के आदर्श को सामने रखकर उन्होंने बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की एक पंक्ति कही कि यदि एक सूरज की तरह चमकना चाहते हो तो पहले एक सूरज की तरह जलना सीखो. धन्यवाद- ज्ञापन के साथ उन्होंने कार्यक्रम के समापन की घोषणा की. राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.
इससे पहले सोमवार की शाम डॉ. डी. वाई. पाटिल की मुलाकात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हुई. इस मुलाकात में किसी सरकारी भूमि पर मुख्यमंत्री की माता जी के नाम से एक अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की स्थापना का निश्चय हुआ. इस अस्पताल का नाम “परमेश्वरी देवी मेडिकल कॉलेज एंड कैंसर हॉस्पिटल” रखने का निर्णय किया गया.