GTRI की वजह से बिहार के लिए आकर्षित हुई 100 से अधिक अग्रणी कम्पनियां
GTRI का ‘आइडियाज फॉर बिहार: एन इनोवेशन समिट 3.0’ बिहार में तकनीक आधारित नवाचार को बढ़ावा देने और परसेप्शन चेंज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा: विजय सिन्हा
GTRI संवाद के तीसरे संस्करण में तकनीकी विशेषज्ञों और इनोवेशन लीडर्स द्वारा बिहार के उद्योगों और स्टार्टअप इकोसिस्टम को पुनर्जीवित करने पर किया गया मंथन
पटना. “मैं प्रौद्योगिकी और नवाचार पर केंद्रित ऐसे महत्वपूर्ण समिट की संकल्पना और आयोजन के लिए GTRI को बधाई देता हूं. मैं यह देखकर अभिभूत हूं कि देश के जाने-माने तकनीकी विशेषज्ञ, उद्यमी और स्टार्टअप लीडर इस आयोजन में भाग लेने आए हैं. यह बिहार के लिए एक शुभ संकेत है. वैसे तो हमारी सरकार राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और सर्वांगीण विकास के लिए लगातार काम कर रही है, लेकिन इस अहम कार्य में दूसरों का सहयोग भी बहुत जरूरी है. इस संदर्भ में GTRI ने सराहनीय प्रयास किए हैं. महज तीन वर्षों की छोटी सी अवधि में इस फोरम ने देश के कई शीर्ष उद्योगपतियों को बिहार में आमंत्रित किया है और राज्य की आर्थिक संभावनाओं और अवसरों पर सार्थक चर्चा को प्रोत्साहित किया है. ऐसे प्रयास न केवल बिहार के बारे में बनी नकारात्मक छवि को दूर करने में मदद करते हैं, बल्कि युवाओं की सोच को बदलने और उन्हें उद्यमिता की ओर प्रेरित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. दूसरे शब्दों में, ‘परसेप्शन चेंज’ के मद्देनजर इस तरह के प्रयास बहुत महत्वपूर्ण हैं.”
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उक्त बातें उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने होटल लेमन ट्री प्रीमियर में ग्रैंड ट्रंक रोड इनिशिएटिव्स (GTRI) द्वारा आयोजित आइडियाज़ फ़ॉर बिहार: एन इनोवेशन समिट’ के तीसरे संस्करण के उद्घाटन सत्र में कहीं. उन्होंने आगे कहा कि प्राचीन काल से ही बिहार में नवाचार का समृद्ध इतिहास रहा है और यह हमारी जीवनशैली का अहम हिस्सा रहा है. मुझे विश्वास है कि यह समिट बिहार को नवाचार में अग्रणी बनाने में अहम भूमिका निभाएगा. मैं यह भी दोहराना चाहूंगा कि राज्य सरकार से जो भी सहयोग अपेक्षित होगा, हम उसे देने में पीछे नहीं हटेंगे. इस दौरान उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव तथा बिहार के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ एस सिद्धार्थ विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे.
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कार्यक्रम के दौरान बिहार निवासी और जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल में सहायक प्रोफेसर डॉ निखिल नरेन द्वारा लिखित ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड लॉ’ नामक पुस्तक का उपमुख्यमंत्री द्वारा विमोचन किया गया. चार तकनीकी सत्रों में तकनीक-आधारित उद्यमिता, एडटेक और कौशल विकास और विकसित बिहार के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे के निर्माण जैसे प्रमुख विषयों पर उद्योग जगत के नेताओं और डोमेन विशेषज्ञों द्वारा चर्चा की गई.
बिहार में उद्योग परिदृश्य के बारे में बात करते हुए उद्योग एवं पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा ने कहा कि राज्य सरकार बिहार में उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिए अथक प्रयास कर रही है. प्रौद्योगिकी के यथोचित इस्तेमाल के अलावा, उद्यमिता को बढ़ावा देना इस संबंध में बेहद महत्वपूर्ण है. स्टार्टअप के क्षेत्र में भी बिहार में असीम संभावनाएं हैं और हम स्टार्टअप सिस्टम को अधिक से अधिक लचीला बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. यह समिट इस दिशा में एक सार्थक क़दम है. बिहार एक युवा राज्य है और इसके मद्देनज़र नौकरी और उद्यम को लेकर उनकी सोच में सकारात्मक बदलाव लाना भी हमारी प्राथमिकता है. हमने तकनीक का इस्तेमाल कर ‘माय ब्लॉक, माय प्राइड’ नमक एक पोर्टल लॉन्च किया है जिसपर बिहार के निवासी अपने ब्लॉक के विकास संबंधी ज़रूरतों पर अपनी राय दे सकते हैं. हम अन्य कार्यक्रमों में भी तकनीक का अधिकाधिक प्रयोग कर रहे हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि ‘विकसित भारत 2047’ में बिहार की अहम भूमिका होगी.
क्या कहा GTRI 3.0 में आये अतिथियों ने
बिहार के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा ने GTRI के मंच पर कहा कि फ्रीडम बेस्ड स्टार्ट अप के लिए मेरे दिल मे बहुत सम्मान है. स्टार्टअप में सारे यंग हैं. वे कभी ऑफिस के चक्कर लगाकर भी कभी थके नही. इस सिस्टम को जितना आसान हो पायेगा उसके लिए मैं कोशिश कर रहा हूँ. यूथ के एडवांटेज हैं और हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि उनके लिए हम कुछ कर सके ताकि बिहार के बाहर भी इसकी बात हो. इसके इकोसिस्टम को बेहतर बनाने की कोशिश कर पाएंगे जल्द यह उम्मीद है. बहुत बड़ा चेंज आने वाला है उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से लेकर कई प्रदेशों में कॉरिडोर बन रहा है जिसको बिजनेस और मैन्यूफैक्चरिंग के हिसाब से बनाया जा रहा है. हाइवे और इंफ्रास्ट्रक्चर पर जो सरकार का सपोर्ट मिला है इससे 10 से 30 लाख तक की जॉब की ऑपर्चुनिटी मिलने वाली है. गया का इलाका भी एक बड़ा ऑपर्चुनिटी का केंद्र बनने वाला है.
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मैंने हमेशा टेक्नोलॉजी और को प्रमोट किया है. हाउसिंग की बात याद करते हुए कहा कि उसमें करप्शन मिटाने के लिए वीडियो बनाकर यूट्यूब पर डालने को कहा उससे काफी करप्शन कम हुआ. बहुत से ट्रेवेल एजेंसी है लेकिन सभी लोग सेफ्टी चाहते हैं इसके लिए हमने एक एप बनाया है कि जिसे आगन्तुक वे अपने पास रखेंगे और उन्हें हम ट्रैक कर सकेंगे. इसतरह के बहुत आधुनिकता और तकनीक पर काम कर रहे जो बदलते बिहार की तस्वीर दुनिया के सामने दिखायेगा. हम लोगों के फीडबैक के लिए भी काम कर रहे हैं ताकि लोगों की क्या जरूरत और मांग है उसके अनुरूप हम सुविधाओं को मुहैया करा सकें.
वही शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने GTRI के मंच पर TV 9 के एडिटर पंकज कुमार से बात करते हुए कई मुद्दों पर बेहद सरलता से कहा कि टेक्नोलॉजी के माधयम से बच्चों का कांउसलिग करना पड़ेगा, तकनीक से इन्हें ब्रिज करना पड़ेगा जो एक गैपिंग बन गया है उसको तकनीक ही ब्रिज कर सकता है.
सब्जेक्ट में मास्टर और तकनीक में जीरो वाले लोगों के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारे पास सभी 95 के बाद के लोग हैं जो तकनीक में ठीक हैं. बॉयमेट्रिक की बात करते हुए कहा कि एक टीचर ने सिखा तो उन्होंने बाकियो को सिखाया. उन्होंने कहा कि 12 लाख टीचर बायोमेट्रिक अटेंडेंस करते हैं ये एक वर्ल्ड रिकॉर्ड बनने लायक है.
यहाँ तक कि बैंक से अपना पैसा निकलने के लिए सभी तकनीक का ही इस्तेमाल करते हैं.
डिजिटल डिवाइड वह नही है कि सभी लोग तकनीक सीखें. वह दूसरे से भी सीख ले या उसे करवा लें वही डिजिटल डिवाइड है. गांव के लोग अपना काम किसी स्किल व्यक्ति से अपना फॉर्म भरवा लेता है.
2000 के बाद स्किल मिशन के तहत स्किल मैन फोर्स और स्किल यूनिवर्सिटी की भी बात चल रही है. हम नई पीढ़ी को 12 के बाद नही चहते कि वह स्नातक करे उसे कुछ स्किल वाला काम सिखाते हैं चाहे व्यूटीशियन बने, फिटर बने, प्लम्बर बने फोटोग्राफर बनें, म्यूजिशियन बनिये… ITI, और पोलटेक्निक इसलिए ही बना है.
उन्होंने बताया कि वे लुधियाना गए थे. 95 प्रतिशत स्किल वाले बिहार से थे. बिहारी का एक क्वालिटी है कि अगर उसे थोड़ा भी आता होगा तो तुरंत स्किल पकड़ लेता है. सीखने की तेजी से कला है. (ability to learn the skill.. ). 21वें फ्लोर पर हैंग कर के फिटिंग कर रहा है ये स्किल सिखाने की जरूरत है?
वही असेंचर वेंचर इन इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर अवनीश सभरवाल ने कहा कि AI इज लाइक आ जिनि, आउटसाइड ऑफ बॉटल नाउ. आगे जाने वाले जेनरेशन जिसको डिजिटल लिटिल हैं. AI will not disrupt you… But the people who is using they will finish your job. पहले 50 लड़कों के लिए एक पढ़ाई थी लेकिन अब तकनीक के जरिये आप उसको कई ऑप्शन दे सकते हैं.
डिजिटली अरेस्ट जैसे सवाल पर कहा कि इनोवेशन धीरे-धीरे होता है. तकनीक पर जैसे ही काम करते हैं वो एक चुनौती होती है और फिर उसका सॉल्यूशन खोजना पड़ता है. तकनीक का इस्तेमाल करके हमें ही इन्वेस्टमेंट के लिए भेज दिया गया. इसको हमने पकड़ लिया. इसके लिए एजुकेशन का होना जरूरी है. हमें अपने आपको काबिल करना पड़ेगा. ये AI का सबसे बुरा काम यही है…इससे बचना होगा..
आगे जाकर रोबोट जब यह काम करेंगे तो लोगों की एक काम करने की संख्या घने वाली है. ड्रोन ऑपरेटर जैसे जॉब आएंगे कभी नही सोचा था.
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वही पूर्व DIG विकास वैभव ने कहा कि स्टार्टअप्स, तकनीक के आधार पर जो काम कर रहे हैं बेगूसराय में हमरा कैब और अर्बन क्लैप की तरह खगड़िया में म्याय फॉग कर के बच्चे सर्विस स्टार्ट किये हैं वह सराहनीय है. अब पहले की तरह बाहर जाने की जरूरत नए जेनेरेशन को जरूरत नही पड़ेगी जो भी तकनीक को जानेंगे और उसे अपनाएंगे.
GTRI के क्यूरेटर अदिति नंदन ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया. इस शिखर सम्मेलन के उद्देश्य को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि उद्योग जगत के नेता और डोमेन विशेषज्ञ डिजिटल युग में नवाचार को बढ़ावा देने, प्रौद्योगिकी के बेहतर उपयोग और बिहार की अर्थव्यवस्था में गुणात्मक सुधार के लिए उद्यमिता की संस्कृति को प्रोत्साहित करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर मंथन करेंगे. GTRI की यात्रा और इसकी उपलब्धियों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि जीटीआरआई राज्य का एकमात्र ऐसा विशिष्ट मंच है जो देश के शीर्ष उद्योगपतियों को एक साथ लाता है और बिहार की आर्थिक क्षमता और अवसरों के बारे में सार्थक चर्चाओं को बढ़ावा देता है. GTRI ने 100 से अधिक अग्रणी कंपनियों को बिहार में आकर्षित किया है और राज्य में व्यापार विस्तार और निवेश पर केंद्रित महत्वपूर्ण संवाद और चर्चाएँ शुरू की हैं. हमने बिहारी मूल के 35 से अधिक सीईओ और संस्थापकों को सफलतापूर्वक आकर्षित किया है और उन्हें राज्य के उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र से फिर से जोड़ा है.
इसके अलावा, GTRI ने शीर्ष कंपनियों से ₹12,000 करोड़ से अधिक के निवेश प्रतिबद्धताओं को सुगम बनाया है, जिससे बिहार में औद्योगिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है. हमने बिहार भर में सीईओ और संस्थापकों के लिए 20 से अधिक दौरे आयोजित किए, जिससे उन्हें राज्य के मौजूदा व्यावसायिक पारिस्थितिकी तंत्र और पर्यटन अवसरों को समझने में मदद मिली ताकि दीर्घकालिक साझेदारी को बढ़ावा मिले. बिहारी पाक विरासत को बढ़ावा देने के लिए, हमने ‘पंगत’ नामक एक संवाद कार्यक्रम की मेजबानी की, जिसमें बिहार के भूले-बिसरे व्यंजनों पर ध्यान केंद्रित किया गया. इस पहल को भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप के शेफ़्स के बीच वैश्विक स्तर पर साझा किया गया.
पटना से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट