रूसी फिल्म “लिओ टाल्स्टॉय एंड महात्मा गांधीः ए डबल पोर्ट्रेट इन द इंटीरियर आफ द एज” में इतिहास के दो गुमनाम अध्यायों को रेखांकित करते हुए विश्व के दो आध्यात्मिक गुरुओं के बीच संबंध को प्रदर्शित किया गया है. यह फिल्म अन्ना इवतुशेंको और गेलिना इवतुशेंको ने बनाई है, जिन्होंने लिओ टाल्स्टाय के अंतिम वर्ष में दो महान व्यक्तियों के बीच संबंध को समझने के लिए व्यापक अनुसंधान किया है. यह फिल्म उस काल को दर्शाती है, जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में थे और उन्होंने लियो टाल्स्टाय से प्रभावित होकर कैसे उनके साथ पत्र व्यवहार शुरू किया था. फिल्म में विश्व के सभी स्थानों यास्नया पोलियाना; लंदन, दिल्ली और जोहानिसबर्ग; दक्षिण अफ्रीका से सम्बद्ध घटनाओं को शामिल किया गया है.
फिल्म के बारे में इसके निर्देशक डॉ गेलिना इवतुशेंको ने बताया कि ‘‘ दुनिया को यह जानकारी नहीं है कि लियो टाल्स्टाय और महात्मा गांधी के बीच कैसे संबंध और उनकी विचारधारा ने विश्व को कैसे प्रभावित किया। यह फिल्म टाल्स्टाय के जीवन के अंतिम वर्ष में हुए पत्राचार के जरिए दो महान व्यक्तियों के बीच संबंध को बेहतर ढंग से समझने में मदद पहुंचाएगी.’’
विश्व के दो महान आध्यात्मिक गुरू लियो टाल्स्टाय और महात्मा गांधी आपस में कभी नहीं मिले,लेकिन टाल्स्टाय के जीवन के अंतिम वर्ष के दौरान उनके बीच पत्राचार हुआ था। इसमें दार्शनिक, धार्मिक और राजनीतिक मुद्दे शामिल किए गए थे. यही पत्राचार इस फिल्म की कथावस्तु का आधार है, जो उन महत्वपूर्ण मुद्दों से सम्बद्ध है, जिनका सामना मानवता को बीसवीं और इक्कीसवीं सदियों में करना पड़ा था. दोनों महान चिंतक बुराई पर अपने अपने ढंग से अहिंसात्मक संघर्ष करने का प्रयास कर रहे थे. उन्होंने सभी युद्धों, क्रांतियों, राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलनों, हर तरह की क्रूरता, नस्लवाद और असहिष्णुता के बारे में अपने अपने दर्शन प्रस्तुत किए.
फिल्म की अन्य निर्देशक अन्ना इवतुशेंको ने भी कहा कि “दोनों महान व्यक्तियों के बीच एक वर्ष के पत्राचार ने समूचे विश्व को प्रभावित किया और आज भी लोगों के दिलों में उनकी शिक्षाएं कायम हैं। महात्मा गांधी मानते थे कि वे एक वृक्ष हैं और लियो टाल्स्टाय की शिक्षाएं विश्व के लिए फल हैं, जिनका उपयोग दुनिया को करना चाहिए. भारत और रूस के बीच भूमि या समुद्र की काई साझा सीमा नहीं है, लेकिन दोनों गुरुओं के बीच आध्यात्मिक क्षेत्र में एक ऐसी साझा सीमा है, जो दो महान देशों को विभाजित नहीं करती, बल्कि एकजुट करती है.” “लिओ टाल्स्टॉय एंड महात्मा गांधीः ए डबल पोर्ट्रेट इन द इंटीरियर आफ द एज” फिल्म ब्रिक्स फिल्म समारोह के दौरान नई दिल्ली के सिरी फोर्ट आडिटोरियम में दिखाई जाएगी.