क्या है हिन्दू धर्म के 10 रहस्यमयी ज्ञान

By pnc Aug 13, 2016

वेद की प्राचीन काल की परंपरा के चलते कई सारे रहस्यमयी ज्ञान या पथों का उद्भव होता गया और इनमें कई तरह के संशोधन भी हुए। दरअसल, यह ज्ञान को एक व्यवस्थित रूप देने की कवायद ही थी। आओ जानते हैं कि वेदों से उत्पन्न इस ज्ञान के कितने रहस्यमयी ज्ञान विकसित हो गए हैं।
गीता : वेदों के ज्ञान को नए तरीके से किसी ने व्यवस्थित किया है तो वह हैं भगवान श्रीकृष्ण। वेदों के सार को वेदांत या उपनिषद कहते हैं और उसके भी सार तत्व को गीता में समेटा गया है।

योग : वेदों से ही योग की उत्पत्ति हुई। समय-समय पर इस योग को कई ऋषि-मुनियों ने व्यवस्थित रूप दिया। आदिदेव शिव और गुरु दत्तात्रेय को योग का जनक माना गया है। शिव के 7 शिष्यों ने ही योग को संपूर्ण धरती पर प्रचारित किया। योग का प्रत्येक धर्म पर गहरा प्रभाव देखने को मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण को योगेश्वर कहा गया है। वशिष्ठ, पराशर, व्यास, अष्टावक्र के बाद पतंजलि और गुरु गोरखनाथ ने योग को एक व्यवस्थित रूप दिया।




योग का उपदेश सर्वप्रथम हिरण्यगर्भ ब्रह्मा ने सनकादिकों को, पश्चात विवस्वान (सूर्य) को दिया। बाद में यह दो शाखाओं में विभक्त हो गया। एक ब्रह्मयोग और दूसरा कर्मयोग। ब्रह्मयोग की परंपरा सनक, सनन्दन, सनातन, कपिल, आसुरि, वोढु और पच्चंशिख नारद-शुकादिकों ने शुरू की थी। यह ब्रह्म योग लोगों के बीच में ज्ञान, अध्यात्म और सांख्‍य योग नाम से प्रसिद्ध हुआ।1415776063-9902 (1)

दूसरी कर्मयोग की परंपरा विवस्वान की है। विवस्वान ने मनु को, मनु ने इक्ष्वाकु को, इक्ष्वाकु ने राजर्षियों एवं प्रजाओं को योग का उपदेश दिया। उक्त सभी बातों का वेद और पुराणों में उल्लेख मिलता है। वेद को संसार की प्रथम पुस्तक माना जाता है जिसका उत्पत्ति काल लगभग 10,000 वर्ष पूर्व का माना जाता है। पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार योग की उत्पत्ति 5000 ईपू में हुई। गुरु-शिष्य परंपरा के द्वारा योग का ज्ञान परंपरागत तौर पर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को मिलता रहा।

भारतीय योग जानकारों के अनुसार योग की उत्पत्ति भारत में लगभग 5,000 वर्ष से भी अधिक समय पहले हुई थी। योग की सबसे आश्चर्यजनक खोज 1920 की शुरुआत में हुई। 1920 में पुरातत्व वैज्ञानिकों ने ‘सिन्धु-सरस्वती सभ्यता’ को खोजा था जिसमें प्राचीन हिन्दू धर्म और योग की परंपरा होने के सबूत मिलते हैं। सिन्धु घाटी सभ्यता को 3300-1700 बीसीई पूराना माना जाता है।

पतंजलि का योग सूत्र योग का सबसे उत्तम ग्रंथ है। भगवान कृष्ण ने योग के 3 प्रकार बताए हैं- ज्ञान योग, कर्म योग और भक्ति योग। जबकि योग प्रदीप में योग के 10 प्रकार बताए गए हैं- 1. राज योग, 2. अष्टांग योग, 3. हठ योग, 4. लय योग, 5. ध्यान योग, 6. भक्ति योग, 7. क्रिया योग, 8. मंत्र योग, 9. कर्म योग और 10. ज्ञान योग। इसके अलावा होते हैं- धर्म योग, तंत्र योग, नाद योग आदि।

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